भाजपा नेत्री रूपा गांगुली का सनसनीखेज खुलासा, बोलीं- बुर्के में न भागती तो...
देश की संसद से पास हुए नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा है। इस तीखी बहस के बीच राज्यसभा सांसद और पश्चिम बंगाल से भाजपा की फायर ब्रैंड नेता रूपा गांगुली ने एक सनसनीखेज वाकया साझा किया है। रूपा गांगुली ने बताया कि जब वह पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर में सातवीं में पढ़ रही थीं, उस समय उन्हें और उनकी मां को बुर्के में भागना पड़ा था। अभिनेत्री से नेता बनीं रूपा गांगुली ने बताया कि कुछ लोग उनका अपहरण करने आए और अगर वह ऐसा नहीं करतीं तो वह 'खान टाइगर' की बेगम बन जातीं।
रूपा गांगुली ने गृहमंत्री अमित शाह के संसद में दिए भाषण के ट्वीट के जवाब में कहा, 'काश मैं कह पाती। मैंने खुद क्या झेला हैं। मैं तो खान टाइगर की बेगम बन जाती जो मुझे किडनैप करने आए थे। अगर उस रात मैं और मेरी मां बुर्के में भाग नहीं पाती दिनाजपुर से। मैं क्लास 7 में पढ़ती थी। अमित शाह आपको क्या बताऊं। आज आप और नरेंद्र मोदी को कितने लोगों के आशीर्वाद मिला हैं।'
राज्यसभा सांसद ने कहा, 'हम कहां जाएंगे, अगर भारत हमें जगह न दे? कोई क्यों नहीं सोचेगा? हम कितनी बार बेघर होंगे? मेरे पिता को उनके देश में, कभी नारायणगंज, कभी ढाका, कभी दिनाजपुर में। हम कितनी बार अपने घरों को बदलेंगे? हमें कितनी बार एक शरणार्थी का जीवन जीना पड़ेगा? नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का धन्यवाद।' भाजपा नेता ने कहा, 'मुझे यह देखकर आश्चर्य हो रहा है कि इस मुद्दे पर विपक्ष हंस रहा है...हरेक टिप्पणी का मजाक उड़ा रहा है...यहां तक कि वरिष्ठ महिला नेता भी...मैं उनके हावभाव को देख रही हूं...बेहद दुखद है....बेहद निराशाजनक।' बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद ने पास कर दिया है। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के पास जाएगा और उनके हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाएगा।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस विधेयक में मुसलमानों को क्यों नहीं शामिल किया गया? उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं इसलिए उन पर अत्याचार की संभावनाएं बहुत कम हैं। गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष 6 धर्मों के लोगों को शामिल करने के लिए प्रशंसा नहीं कर रहा है बल्कि उसका पूरा ध्यान मुस्लिमों पर ही टिका है। गौरतलब है कि विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सवाल पूछा था कि भारत के और भी पड़ोसी देश हैं तो केवल बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को ही इसमें क्यों शामिल किया गया। उन्होंने यह भी पूछा था कि मस्लिमों पर भी अफगानिस्तान में तालिबान ने अत्याचार किया लेकिन उन्हें विधेयक में जगह क्यों नहीं दी गई। गृह मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि क्या बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक माना जा सकता है? उन्होंने कहा, 'उन देशों का मुख्य धर्म इस्लाम है तो उन पर अत्याचार होने की संभावना भी बहुत कम है।'
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