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अयोध्या, 370 और हैदराबाद पर सुनवाई हैदराबाद एनकाउंटर: पूर्व जज कर सकते हैं जांच

अयोध्या, 370 और हैदराबाद पर सुनवाई हैदराबाद एनकाउंटर: पूर्व जज कर सकते हैं जांच

(हैदराबाद)अयोध्या, 370 और हैदराबाद पर सुनवाई
हैदराबाद एनकाउंटर: पूर्व जज कर सकते हैं जांच

 अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका, 370 को लेकर लगी बंदिशें और हैदराबाद एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आज तीनों ही मामलों पर सुनवाई हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुझाव दिया है कि हैदराबाद में हुए पुलिस एनकाउंटर की जांच शीर्ष अदालत के ही किसी सेवानिवृत्त जज की निगरानी में कराई जानी चाहिए। इस एनकाउंटर में हैदराबाद पुलिस ने महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर शव जला देने वाले चार आरोपियों को हिरासत से भागते समय मार गिराया था। इस एनकाउंटर को गैरकानूनी बताने वाली वकील जीएस मणि और मुकेश कुमार शर्मा की जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को विस्तृत सुनवाई का निर्णय लिया है। पीठ ने यह भी कहा कि सेवानिवृत्त जज तेलंगाना में नहीं बल्कि दिल्ली से ही निगरानी के काम को अंजाम देंगे। पीठ ने याचिकाकर्ताओं और तेलंगाना सरकार को सेवानिवृत्त जज का नाम सुझाने के लिए कहा है। उधर, तेलंगाना सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से इस मामले में किसी तरह का आदेश पारित करने से पहले अपना पक्ष सुनने का आग्रह किया।
अयोध्या मामले में विचार करेगा कोर्ट
अयोध्या भूमि विवाद मामले में नौ नवंबर को दिए फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बृहस्पतिवार को विचार करेगा। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ दोपहर करीब 1:40 बजे 18 पुनर्विचार याचिकाओं पर इन-चैंबर सुनवाई करेगी। पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। जस्टिस खन्ना को छोड़कर बाकी सदस्य मामले में फैसला देने वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे। जस्टिस खन्ना को 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए सीजेआई रंजन गोगोई की जगह शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड जानकारी के मुताबिक, 18 पुनर्विचार याचिकाओं में नौ उन पक्षों ने दायर की है, जो पहले पक्षकार थे। बाकी नौ तीसरे पक्ष ने दायर की हैं। पीठ विचार करेगी कि याचिकाओं पर ओपन कोर्ट में सुना जाए या नहीं। पूर्व सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से 2.77 एकड़ विवादित भूमि रामलला को देने का फैसला सुनाया था। साथ ही केंद्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।
अनुच्छेद-370 हटाने को चुनौती पर नजर
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई बृहस्पतिवार तक के लिए स्थगित कर दी। आईएएस अधिकारी के पद से इस्तीफा देकर राजनीतिज्ञ बने शाह फैसल के वकील राजू रामचंद्रन ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि इस मामले में केवल न्यायिक फैसले से ही बदलाव संभव है। हम परिवर्तन के लिए कोर्ट की ओर देख रहे हैं। शाह फैसल समेत कई राजनीतिज्ञ राज्य में अभी भी हिरासत में हैं। जस्टिस एनवी रमना की पीठ से उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 को बिना राज्य के विधानमंडल की सिफारिश के हटाना संघीय विधान के सिद्धांतों का उल्लंघन है। साथ ही यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम संविधान के अनुच्छेद-3 का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-356 के तहत शक्तियों का हस्तांतरण राष्ट्रपति को नहीं किया जा सकता।  

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