निजी अस्पतालों में मरीजों को वेंटीलेटर देने के लिए बनाई योजना
दिल्ली सरकार ने वेंटीलेटर की कमी को दूर करने के लिए निजी अस्पतालों में मरीजों को सेवा देने की योजना बनाई है। वही दूसरी ओर निजी अस्पतालों का पहले से ही करोड़ों रुपये का बकाया होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देशों पर सरकार वेंटीलेटीर की कमी को जल्द से जल्द दूर करना चाहती है। निजी अस्पतालों में 1 दिन के वेंटिलेटर का खर्च 50 हजार रु के आसपास है। अब इन अस्पतालों को मनाने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से एक योजना बनाई है।
दिल्ली सरकार के डायलॉग और डेवेलपमेंट आयोग की स्वास्थ्य प्रतिनिधि डॉ. निम्मी रस्तोगी का कहना है कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के तहत निजी अस्पतालों के करोड़ों रुपये सरकार पर बकाया हैं। इसके चलते निजी अस्पताल सरकार के सहयोग से मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने से कतरा रहे हैं। बीते 2-3 साल से केंद्र सरकार की ओर से नहीं चुकाई गई है। साथ ही सीजीएचएस के तहत होने वाले इलाज या सर्जरी का पैकेज लागत राशि से भी कम है। ऐसे में इन अस्पतालों को काफी नुकसान हो रहा था। अब यदि फ्री वेंटिलेटर की स्कीम लागू करते हैं तो इसमें वेंटिलेटर का एक दिन का खर्च करीबन 50 हजार रु के आसपास है। अब निजी अस्पतालों को ये विश्वास दिलाया जा रहा है कि अगर उनके यहां सरकारी अस्पताल से रेफर होकर कोई मरीज आता है तो वे उसे वेंटीलेटर उपलब्ध करा सकते हैं। इसका जो भी खर्चा होगा, वो दिल्ली सरकार 15 दिन के भीतर संबंधित अस्पताल को उपलब्ध कराएगी। इसमें एक शर्त सरकार ने ये भी रखी है कि अगर समय पर अस्पताल को भुगतान करते हैं तो संबंधित अस्पताल को उन्हें तीन फीसदी तक छूट देनी होगी। अगर भुगतान समय पर नहीं होता है तो 1 फीसदी का जुर्माना सरकार को भरना होगा। भुगतान की इस प्रक्रिया को लेकर प्राइवेट अस्पतालों से बातचीत की जा रही है। फ्री वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए लगभग 48 अस्पताल को चुना गया है और यह सभी वही अस्पताल हैं जो सरकारी जमीन पर बने हैं।
रीजनल नार्थ
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