आईसीएआर और नाबार्ड ने कृषि क्षेत्र में किया करार
कृषि में जलवायु सहनशील प्रौद्योगिकी के विकास, डेयरी, खाद्य प्रसंस्करण, जल संरक्षण, स्वयं सहायता समूह, कृषि वानिकी और पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा और नाबाडर् के अध्यक्ष हर्ष कुमार वनमाला ने दोनों संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि दोनों संस्था पहले से कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अलग-अलग काम कर रहे थे लेकिन इस समझौते से इन क्षेत्रों में प्रतिबद्धता और तेजी से काम किया जा सकेगा। नई-नई कृषि प्रौद्योगिकी की जानकारी नाबार्ड के अधिकारियों को दी जाएगी और जरूरत होने पर उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। दोनों संस्थाओं के उद्देश्य और लक्ष्य एक ही हैं। महाराष्ट्र में जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर 5000 गांवों का चयन किया गया है, जहां बदली हुई परिस्थिति में बेहतर खेती की जा सके। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण और जल संचय के लिए प्रौद्योगिकी है लेकिन इसके लिए लोगों को जागरुक करने तथा निर्माण कार्य के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है। सहकारिता के माध्यम से श्वेत क्रांति को सफल बनाया गया जिसे डेयरी के माध्यम से और आगे बढ़ाया जा सकता है।
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आईसीएआर और नाबार्ड ने कृषि क्षेत्र में किया करार