जर्मनी के वैज्ञानिकों ने अपनी ताजा रिसर्च में दावा किया है कि गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को दूसरों के चेहरे देखकर कर उनकी भावनाएं समझने में समस्या हो सकती है। वैज्ञानिकों को इन गोलियों के कुछ साइड इफेक्ट्स की जानकारी पहले ही थी जैसे, मूड का उतार-चढ़ाव, जी मिचलाना, सिरदर्द और ब्रेस्ट में दुखन वगैरह। हाल के अध्ययनों में इन गोलियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर फोकस किया जा रहा है। जर्मनी की ग्रैफ्स्वाल्ड यूनिवर्सिटी ने 18 से 35 वर्ष की 95 स्वस्थ महिलाओं पर इस मामले को लेकर रिसर्च की। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन नतीजों से भविष्य में बनने वाली गर्भनिरोधक गोलियों के लिए दिशा-निर्देश तय करने में मदद मिलेगी। इस रिसर्च में शामिल 42 महिलाओं ने कहा कि वे गोलियां लेती हैं, जबकि दूसरी 53 ने इससे इनकार किया। इसके बाद इन महिलाओं को लोगों के चेहरों के 37 ब्लैक ऐंड वाइट फोटो दिखाए गए। इनमें आंखों के आसपास के क्षेत्र को दिखाया गया था। हर फोटो के साथ चार लेबल थे जिनमें ''गर्व'' और ''घृणा'' जैसी जटिल भावनाओं के नाम लिखे थे और पूछा गया था कि इनमें से कौन सी भावना संबंधित फोटो की सटीक व्याख्या करती है। इनमें से तीन लेबल गलत और केवल एक सही था। फिर इन महिलाओं से कहा गया कि लेबल से जुड़े बटन को जल्द से जल्द बताकर उत्तर बताएं। रिसर्च के नतीजों में देखा गया कि जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थीं वे गोली न लेने वाली महिलाओं की तुलना में फोटो में दिखाए भाव को सही से समझ नहीं पाईं। डॉक्टर अलेक्जेंडर ने बताया, 'ये गोलियां महिलाओं के एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन्स के लेवल को प्रभावित करती हैं। इसी से इन्हें जटिल भावनाओं को पहचानने में समस्या होती है। लेकिन अभी इस दिशा में और रिसर्च की जरूरत है ताकि पता लगाया जा सके कि गोली के प्रकार, उसे लेने की अवधि और वह दिन में किस समय ली गई है इन सब कारकों के प्रभाव को भी जांचा जा सके।' इस रिसर्च में अहम भूमिका निभाने वाले डॉक्टर अलेक्जेंडर लिस्चके का कहना था, ' इन महिलाओं में यह बदलाव बहुत सूक्ष्म स्तर पर आया है। इसीलिए ऐसा प्रयोग किया गया जिसमें हमें महिलाओं की जटिल भावनाओं को पहचानने की क्षमता परख सकें। रिसर्च में शामिल सभी महिलाएं आसान भावनाओं को तो सरलता से पहचान गईं लेकिन जटिल भावनाओं को समझने में गोली लेने वाली महिलाओं को कठिनाई आई।'