नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
नागरिकता संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस कानून के खिलाफ दायर की गई 59 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर केंद्र से जनवरी के दूसरे सप्ताह तक जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट इस केस की अगली सुनवाई 22 जनवरी को करेगा।
उल्लेखनीय है कि बुधवार 18 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत के सामने 59 याचिकाएं सूचीबद्ध थी। याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस के जयराम रमेश, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी की महुआ मोइत्रा, आरजेडी के मनोज झा, जमीयत उलेमा ए हिंद और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग शामिल हैं। इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती दी थी।
याचिका में नागरिकता संशोधन कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द्द करने की मांग की गई है। जयराम रमेश की याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन कानून 2019 को समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला ठहराते हुए रद्द्द घोषित करे। इसके अलावा कोर्ट घोषित करें कि यह कानून 1985 के असम समझौते के खिलाफ है। यह कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लंघन करता है, इसलिए इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। जयराम रमेश ने कहा कि कोर्ट घोषित करे कि नागरिकता संशोधन कानून अंतरर्राष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करता है, जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं।
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