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विमानों में पायलट और को-पायलट देते अलग खाना -जहर ना खिला दें इसीलिए बरती जाती है एहतियात

विमानों में पायलट और को-पायलट देते अलग खाना  -जहर ना खिला दें इसीलिए बरती जाती है एहतियात

विमानों में पायलट और को-पायलट के खानों में भी काफी एहतियात बरता जाता है। उनको अलग-अलग खाना दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर खाने में जहर हो या खाना खराब हो तो सारे क्रू मेंबर एक साथ बीमार न पड़ जाएं। हवाई जहाज में जो ऑक्सीजन मास्क उपलब्ध कराया जाता है, उसमें सिर्फ 12-15 मिनट के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन होती है। किसी तरह की संकट की स्थिति में पायलट 15 मिनट के अंदर विमान को उस ऊंचाई पर ले जाता है, जहां यात्री आराम से सांस ले सकें। वहां अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती है। हवाई जहाज की टॉइलट शीट पर बैठकर फ्लश करना खतरनाक हो सकता है या फिर मरकरी से विमान को नुकसान पहुंच सकता है। हवा में उड़ान भरते समय विमान को कई खतरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। आसमान में बिजली का गरजना उनमें से एक है। यह एक ऐसी परिस्थिति है जिसका विमानों को अकसर सामना करना पड़ता है। इससे निपटने के लिए साल 1963 से विमानों को बिजली प्रूफ बनाया गया है। जहाजों का डिजाइन इस तरह से किया जाता है कि उस पर आसमानी बिजली का कोई असर नहीं होता है। साल 1977 दुनिया की सबसे भयावह विमान दुर्घटना का गवाह बना था। इस दुर्घटना को टेनेराइफ ऐक्सिडेंट के नाम से जाना जाता है। टेनेराइफ स्पेन का एक द्वीप है जहां यहां दुर्घटना घटित हुई थी। रनवे के बीच में दो विमान आपस में टकरा गए थे। दोनों विमानों में 600 से ज्यादा यात्री थे। 500 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो गई थी। कुछ विमानों में बेडरूम भी होते हैं। आमतौर पर इन विमानों की उड़ान करीब 15-16 घंटे की होती हैं। ये बेडरूम सिर्फ क्रू के इस्तेमाल के लिए होते हैं। उड़ान की लंबी अवधि होने के कारण क्रू मेंबर थक जाते हैं। इस स्थिति में वे बेडरूम में जाकर आराम कर सकते हैं। 

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