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जामिया हिंसा पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों ने लगाए शेम-शेम के नारे, अब कमेटी करेगी जांच

जामिया हिंसा पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों ने लगाए शेम-शेम के नारे, अब कमेटी करेगी जांच

 जामिया हिंसा पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकीलों ने लगाए शेम-शेम के नारे, अब कमेटी करेगी जांच 
 नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया में हुई हिंसा मामले की कई याचिकाओं पर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायालय ने इस मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा और इस मामले की सुनवाई 4 फरवरी तक के लिए टाल दी थी। इस पर कोर्ट से निवेदन किया कि वह 4 फरवरी से पहले की तारीख दे दे, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया। इस पर कोर्ट में मौजूद कुछ वकील 'शेम-शेम' के नारे लगाने लगे। इस पर आज वकीलों के एक समूह ने कहा है कोर्ट से निवेदन किया है कि कल जिन वकीलों ने शेम-शेम के नारे लगाए थे उन पर कोर्ट की अवमानना करने के लिए स्वतः संज्ञान लिया जाए। वकीलों की इस अपील पर अदालत ने इस मामले को एक कमेटी के हवाले कर दिया है जो इस मामले को देखकर उचित कार्रवाई करेगी। कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं, बार संघों के अध्यक्षों और केंद्र सरकार के वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ से कहा कि ‘न्यायपालिका का अपमान’ करने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की जरूरत है। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस मामले को संबद्ध समितियों में से एक के पास भेजेगी, इस पर वह समिति विचार करेगी।  
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस डीएन पटेल की बेंच ने गुरुवार को गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 4 फरवरी को होगी। इस मामले से संबंधित याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने हाईकोर्ट से इस मामले की त्वरित सुनवाई का आग्रह किया। जब कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया तो कुछ वकीलों ने कोर्ट में ही शेम-शेम के नारे लगाए। हाईकोर्ट ने छात्रों की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत की मांग को भी खारिज कर दिया है। छात्रों की तरफ से पक्ष रखते हुए वकील ने कोर्ट को कुछ वीडियो को हवाला देते हुए पुलिस कर्मियों पर छात्रों को इस मामले में जबरन घसीटने की कोशिश के भी आरोप लगाते हुए पुलिस कार्रवाई पर भी मामला दर्ज करने की मांग की है। 
- गुपचुप तरीके से प्रवेश, गोले दागे
वकील ने बताया कि हमारे पास पुलिस कार्रवाई के दौरान घायल हुए छात्रों की सूची भी है। याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को बताया कि पुलिस जामिया विश्वविद्यालय परिसर में गुपचुप तरीके से प्रवेश कर, आंसू गैस के गोले भी दागे। इसमें छात्र चोटिल हुए जबकि विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर को भी पुलिस की विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई। वकील ने हिरासत में लिए गए छात्रों को  उचित चिकित्सा सुविधा मुहैया न किए जाने आरोप लगाते हुए इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। याचिका में कहा कि पुलिस की इस बर्बरता में एक छात्र को गोली लगी है जबकि एक छात्र की आंख की रोशनी चली गई। याचिकाकर्ता के वकील ने छात्रों को गिरफ़्तारी से अंतरिम राहत का अदालत से आग्रह किया, जिसे हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
- सलमान सुर्शीद ने रखे पक्ष
नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ दिल्ली में जामिया नगर में हिंसक प्रदर्शन के बाद रविवार को हालात बिगड़ गए थे। इसके बाद हालात को शांत करने के लिए पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई में कई युवक जख्मी हो गए थे। इससे संबंधित एक याचिकाकर्ता की तरफ से सलमान खुर्शीद ने भी अपना पक्ष रखा है।

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