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भाजपा सांसद और विधायक के बीच लंबे समय से चल रही थी सियासी वर्चस्व की लड़ाई

भाजपा सांसद और विधायक के बीच लंबे समय से चल रही थी सियासी वर्चस्व की लड़ाई

उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर से भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने अपनी ही पार्टी के विधायक राकेश सिंह बघेल पर बैठक के दौरान सरेआम जूतों की बारिश कर दी। विधायक और सांसद के बीच बुधवार को यूं ही जूतम-पैजार नहीं हो गई। इन दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। बघेल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नजदीकी समझे जाते हैं। इस लिए जिला प्रशासन से लेकर सब जगह उन्हें ज्यादा महत्व मिलता रहा है। यह बात सांसद त्रिपाठी को हजम नहीं हो रही थी।
उल्लेखनीय है कि सपा-बसपा गठबंधन में संतकबीर नगर सीट मायावती के खाते में गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद त्रिपाठी को दोबारा टिकट मिलने पर संशय बना हुआ है। संतकबीर नगर लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली मेंहदावल विधानसभा सीट से विधायक राकेश सिंह बघेल सांसद शरद त्रिपाठी के टिकट का विरोध कर रहे थे। बघेल इस अभियान में काफी हद तक सफल होते दिखाई दे रहे थे। इस बात की भनक शरद त्रिपाठी को लग चुकी थी। संतकबीर नगर से सपा के दिग्गज नेता भालचंद यादव यह सीट बसपा के खाते में जाने से भाजपा से टिकट के लिए हाथ पांव मार रहे हैं। इस कड़ी में उन्होंने पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात भी कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से उन्हें हरी झंडी भी मिल चुकी है। इससे साफ जाहिर है कि शरद त्रिपाठी का टिकट कटना लगभग तय हो चुका है। शरद त्रिपाठी को पता चल चुका था कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिल रहा है।
 सांसद शरद त्रिपाठी बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी के पुत्र हैं और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के गुट के माने जाते हैं। जबकि राकेश सिंह बघेल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। सूबे में भाजपा की सरकार और योगी के सीएम बनने के बाद राकेश सिंह बघेल का राजनीतिक कद काफी बढ़ गया था। जिला प्रशासन सांसद शरद त्रिपाठी से कहीं ज्यादा विधायक राकेश सिंह बघेल की बात को महत्व देता है। भाजपा ने शरद त्रिपाठी को पहली बार 2009 के लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था, लेकिन हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी के हाथों पराजित हो गए थे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में शरद त्रिपाठी सांसद बनने में सफल रहे। इसके बाद सन 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद स्थानीय भाजपा विधायकों से पैदा हुआ मनमुटाव लगातार बढ़ता गया।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संत कबीरदास के महापरिनिर्वाण स्थल मगहर गए थे। भाजपा सांसद शरद त्रिपाठी ने मगहर की जनसभा के मंच पर अपने संसदीय क्षेत्र के तीनों विधायकों को जगह नहीं दी थी। सांसद के इस रवैए से तीनों विधायक खिन्न हो गए और शरद त्रिपाठी के विरोध में सक्रिय हो गए। भाजपा सांसद और मेंहदावल के विधायक के बीच अहम का टकराव जिले में पार्टी के मेरा बूथ सबसे मजबूत सहित कई कार्यक्रमों के दौरान साफ तौर पर दिखाई दिया। यही वजह रही कि मौजूदा तीनों विधायकों आपस में एक हो गए और सभी ने सांसद के खिलाफ बिगुल फूंक दिया।

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