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अयोध्या मामला: मध्यस्थता के जरिए ही ‎मिलेगा हल - श्रीश्री रविशंकर स‎हित 3 सदस्यीय पैनल गठित

अयोध्या मामला: मध्यस्थता के जरिए ही ‎मिलेगा हल - श्रीश्री रविशंकर स‎हित 3 सदस्यीय पैनल गठित

अयोध्या मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना ऐतिहासिक फैसला ‎दिया।  मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय बेंच के ‎निर्णया को मुख्य न्यायधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने पढ़कर सुनाया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले का दोनों ही पक्ष मध्यस्थता के जरिए हल  निकाले। कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए 3 सदस्य कमेटी तैयार की । इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस (रि)  एफ़एम इब्राहिम कलीफुल्ला, अध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए 8 सप्ताह का समय ‎‎दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल को 4 सप्ताह मे प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में देने की बात कही। मध्यस्थता पीठ फ़ैज़ाबाद मे बैठेगी राज्य सरकार मध्यस्थता पीठ को सुविधाएं देगी। कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता तुरंत शुरू हो उसे शुरू होने मे एक सप्ताह से ज़्यादा वक़्त न लगे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि विवाद निपटारे के दौरान मध्यस्थता प्रयासों पर मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी। कोर्ट के निर्णय के बाद हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि हम चाहते थे कि श्री श्री रविशंकर इसकी पहल करें। हम इसका स्वागत करते है। बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल के नाम अपनी तरफ से सुझाए हैं, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पक्षों से नाम मांगे थे, लेकिन नाम नहीं दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के ‎निर्णय से पहले रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने कहा था कि मस्जिद बदली जा सकती है, राम मंदिर नहीं बदला जा सकता है। रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा। वहीं रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास के मुता‎बिक मध्यस्थता पहले भी हो चुकी है। इससे पहले हिंदू महासभा के वकील विष्णु जैन ने कहा, सभी पक्ष राजी हो तो मध्यस्थता के लिए हम भी राजी हैं। हिंदू महासभा ने आज कहा था कि मध्यस्थता से सभी मामले हल हो सकते है। बता दें कि इससे पहले 6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट दोनों ही पक्षों से मामले के बातचीत के जरिए हल निकालने को लेकर मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था। हिंदू पक्षकारों में रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने मध्यस्थता से इनकार किया था। वहीं एक और हिंदू पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने कहा था कि वह मध्यस्थता के लिए तैयार है। मुस्लिम पक्ष ने भी मध्यस्थता पर सहमति जताई।सुनवाई के दौरान सबसे पहले एक हिन्दू पक्ष के वकील ने कहा था कि अयोध्या केस को मध्यस्थता के लिए भेजने से पहले पब्लिक नोटिस जारी किया जाना चाहिए। हिंदू पक्षकार की दलील थी अयोध्या मामला धार्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है, यह केवल सम्पत्ति विवाद ही नहीं है। इसलिए मध्यस्थता का सवाल ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हैरान हैं कि विकल्प आज़माए बिना मध्यस्थता को खारिज क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि अतीत पर हमारा नियंत्रण नहीं है लेकिन हम बेहतर भविष्य के ‎लिए कोशिश जरूर कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा जब वैवाहिक विवाद में कोर्ट मध्यस्थता के लिए कहता है तो किसी नतीजे की नहीं सोचता। बस विकल्प को आज़माना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम ये नहीं सोच रहे कि किसी पक्ष को किसी चीज का त्याग करना  होगा। हम जानते हैं कि ये आस्था का मसला है। हम इसके असर के बारे में  भी जानते हैं।    

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