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विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण पीएसपी करेगी -साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली कंपनी है पीएसपी 

विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण पीएसपी करेगी -साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली कंपनी है पीएसपी 

विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण पीएसपी करेगी
-साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली कंपनी है पीएसपी 

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए तैयारियां जोरों पर है इसके वित्तीय मूल्यांकन के बाद पीएसपी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के नाम पर मुहर लग गई है। विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का निर्माण पीएसपी करेगी। कम्पनी को जनवरी के पहले हफ्ते में काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है। पीएसपी गुजरात में साबरमती रिवर फ्रंट बनाने वाली अहमदाबाद की कंपनी है।
करीब 318 करोड़ से 50 हजार वर्ग मीटर में प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने 25 नवम्बर को टेंडर जारी किया था। 12 दिसम्बर को हुई प्री-बिड मीटिंग में पीएसपी के साथ ही दिल्ली की शापूर्जी पल्लोंजी, हैदराबाद की कम्पनी रामकी इंफ्रास्ट्रक्चर और लखनऊ की कार्वी डाटा ने भी भाग लिया।
18 महीनों में तैयार होगा बाबा का भव्य मंदिर-
मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि अनुभवी और कम लागत वाली पीएसपी को फाइनल कर दिया गया है। जनवरी 2020 के प्रथम सप्ताह से काशी विश्वनाथ धाम का काम विधिवत शुरू होगा और सब कुछ ठीक रहा तो 18 महीने में बाबा का भव्य मंदिर तैयार हो जाएगा। पहले चरण में मंदिर परिसर और दूसरे चरण में गंगा घाट क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। तीसरे चरण का काम गंगा तट पर स्थित नेपाली मंदिर से लेकर ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकर्णिका घाट के आगे सिंधिया घाट तक का हिस्सा शामिल है।
पीएम मोदी ने किया था कॉरिडोर का शिलान्यास-
काशी विश्वनाथ कारिडोर का शिलान्यास पीएम मोदी ने इसी साल 8 मार्च को किया था। मां गंगा के पावन तट पर स्थित विश्व की प्राचीनतम नगरी आनंद वनम या काशी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों के सुगम दर्शन की सुविधा के मद्देनजर काशी विश्वनाथ धाम की विशाल रचना की जा रही है। जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी से जोड़ेगा।
अहिल्याबाई होलकर ने 1780 में कराया था जीर्णोद्धार-
ऐतिहासिक रूप से इस मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा वर्ष 1780 में कराया गया था। लगभग 239 वर्षों के बाद वाराणसी के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्पित होकर इस नवनिर्माण की आधारशिला रखी है।
महात्मा गांधी ने मंदिर की पतली गलियों का किया था उल्लेख-
उल्लेखनीय हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा भी वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अपने उद्बोधन में काशी में आने वाले दर्शनार्थियों एवं श्रद्धालुओं के मंदिर दर्शन हेतु संकीर्ण गलियों का उल्लेख किया गया था।
500 परिवारों को सहमति से किया गया विस्थापित-
परियोजना के अंतर्गत सभी भवनों/दुकानों इत्यादि को सहमति के आधार पर क्रय किया गया है, जिसमें निवसित 500 परिवारों को आपसी सहमति से विस्थापित किया गया है। इन भवनों को क्रय एवं रिक्त कराने के उपरांत प्राप्त सभी मंदिर प्राचीन धरोहर हैं, जो इन भवनों से आच्छादित थे। उन्हें भवनों को ध्वस्त कर मलवा निस्तारण के उपरांत जनसामान्य को दर्शन पूजन हेतु सुलभ कराया गया है।
मंदिर का विशाल होगा प्रांगण-
परियोजना में मंदिर प्रांगण का विस्तार कर इसमें विशाल द्वार बनाए जाएंगे तथा एक मंदिर चौक का निर्माण किया जाएगा। जिसके दोनों तरफ़ विभिन्न भवन जैसे कि विश्रामालय, संग्रहालय, वैदिक केंद्र, वाचनालय, दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, व्यावसायिक केंद्र, पुलिस एवं प्रशासनिक भवन, वृद्ध एवं दिव्यांग हेतु एक्सीलेटर एवं मोक्ष भवन इत्यादि निर्मित किए जाएंगे। परियोजना अंतर्गत 330.00 मीटर लम्बाई एवं 50.00 मीटर चौड़ाई एवं घाट से एलिवेशन 30 मीटर क्षेत्र में निर्माण कराया जाएगा।
पौराणिक स्‍वरूप दिखाने के लिए आधुनिक तकनीक का होगा इस्‍तेमाल-
विश्‍वनाथ कॉरिडोर में आने वालों को काशी नगरी के धार्मिक और सांस्‍कृतिक स्‍वरूप के दर्शन तो होंगे ही, आनंद कानन और रूद्र वन की परिकल्‍पना भी साकार होगी। इस लिहाज से कॉरिडोर एरिया में सिर्फ 30 फीसदी क्षेत्र में निर्माण होगा। धार्मिक और पौराणिक स्‍वरूप को प्रदर्शित करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्‍तेमाल किया जाएगा। कल्‍चरल सेंटर, वैदिक केंद्र, टूरिस्‍ट फैसिलिटेशन सेंटर, सिटी म्‍यूजियम, जप-तप भवन, भोगशाला, मोक्ष भवन और दशनार्थी सुविधा केंद्र अधिकतम दो मंजिला ही बनेंगे। इनकी ऊंचाई विश्‍वनाथ मंदिर के शिखर से उपर नहीं होगी। रूद्र वन में रुद्राक्ष के 350 से ज्‍यादा पौधे लगाए जाने की योजना है।

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