शोधकर्ताओं का कहना है कि सफर के दौरान होने वाली मौतों के लिए हार्ट अटैक सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। स्पेन में प्रस्तुत की गई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अगर यात्रा के दौरान पड़े दिल के दौरे का समय पर सही इलाज हो जाए तो लंबे समय में इसके सकारात्मक परिणाम रहते हैं। इस स्टडी के सह लेखक और जापान यूनिवर्सिटी के रायोता निशिओ कहते हैं, 'अगर आप सफर कर रहे हैं और आपको हार्ट अटैक के लक्षण अनुभव होते हैं, जैसे छाती, गले, गर्दन, कमर, पेट या कंधों में दर्द महसूस हो जो 15 मिनट से ज्यादा समय बना रहे तो फौरन ऐम्बुलेंस को बुलाना चाहिए। स्डटी में यह भी पता चला कि जिन लोगों को सफर में दिल का दौरा पड़ा और उन्हें समय पर इलाज मिल गया उनमें घर पर हुए हार्ट अटैक के मरीजों की तुलना में दिल के दौरे से मृत्यु होने की आशंका करीब 42 प्रतिशत कम हो गई। डॉक्टर निशिओ ने इस बात पर जोर दिया कि सफर में हार्ट अटैक के बाद मिली आपातकालीन मदद के बाद मरीज को जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ऐसा करने से उसे भविष्य में दिल के दौरे की आशंका को कम करने के लिए अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव करने का मौका मिल जाता है। असल में लंबी दूरी की यात्रा के दौरान डिहाइड्रेशन, पैरों में ऐंठन, इलेक्ट्रोलाइट अंसुतलन, थकान, यात्रा के समय जी मिचलाने जैसी वजहों से शरीर में खून के संचार में रुकावट आती है। यही समस्या दिल की दौरे की वजह बन सकती है। इस रिसर्च में 1999 से 2015 के बीच 2,564 मरीजों पर रिसर्च की गई जिन्हें दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत डॉक्टरी मदद मुहैया कराई गई। इनमें कुछ रोगियों का ऑपरेशन करके उनमें स्टेंट भी डाला गया। इनमें से 192 यानि 7.5 प्रतिशत मरीज हार्ट अटैक के समय सफर कर रहे थे। जो मरीज यात्रा कर रहे थे वे युवा थे पर उन्हें एक घातक किस्म की दिल की बीमारी स्टेमी की आशंका ज्यादा थी। इसमें उनके दिल तक खून ले जाने वाली मुख्य नली ब्लॉक हो जाती है।
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हार्ट अटैक के संकेतों को लेकर रहे जागरुक -सफर के दौरान आने वाले अटैक मौत के लिए ज्यादा जिम्मेदार