फास्ट फूड सेहत के लिए कभी अच्छा नहीं माना जा सकता। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि पिछले 30 साल में फास्ट फूड सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हो गया है। यह अध्ययन अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। इस अध्ययन में सन 1986 से सन 2016 के दौरान अमेरिका की मशहूर फास्ट फूड चेन में मिलने वाले फास्ट फूड का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन के नतीजे डराने वाले हैं। बर्गर, बरीटो और इसी तरह के फास्ट फूड में नमक की मात्रा बेतहाशा बढ़ी है।
यह 1986 में जहां दिन की जरूरत का महज 27.8 प्रतिशत हुआ करती थी, वहीं 2016 में यह 4.6 प्रतिशत की दर से बढ़कर 41.6 प्रतिशत हो गई। इसका साइज और कैलरी काउंट भी 24 प्रतिशत बढ़ा, यानि हर 10 साल में 13 ग्राम। फास्ट फूड के तौर पर खाई जाने वाली मीठी चीजों के वजन में बढ़ोतरी हुई। हर 10 साल में इनका वजन 24 ग्राम की दर से बढ़ा।
कैलरी काउंट हर 10 साल में 62 किलोकैलोरी बढ़ा। फ्रेंच फ्राइज़ और चिप्स जैसी साइड डिश के तौर पर खाए जाने वाले फास्ट फूड में नमक 100 प्रतिशत बढ़ा। यह दैनिक जरूरत के 11.6 प्रतिशत से बढ़कर 23.2 प्रतिशत हो गया। इनका कैलरी काउंट 24 प्रतिशत बढ़े गया। वैसे तो यह अध्ययन अमेरिका को लेकर था। अमेरिका में आज 40 प्रतिशत लोग मोटापे से ग्रस्त हैं, जबकि 1960 के दशक में महज 13 प्रतिशत जनसंख्या मोटापे से परेशान थी। भारत में हालांकि फास्ट फूड का आकार और वजन अमेरिका और यूरोप के देशों जितना नहीं है, फिर भी यहां सन 2005-06 से 2015-16 के बीच मोटे लोगों की संख्या दोगुनी हो गई।
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बीते 30 सालों में सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हुआ फास्टफूड