भारत-पाक एलओसी पर बढ़ते तमाव के हालतोंके मद्देनजर भारतीय सेना ने युद्ध की अपनी क्षमता में सुधार और जमीनी स्तर पर अफसरों की कमी को पूरा करने के लिए खास निर्णय किया है। इंडियन आर्मी दिल्ली स्थित मुख्यालयों से करीब 230 युवा अफसरों को फ्रंटलाइन पर तैनात करेगी। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इन अफसरों में ज्यादातर कर्नल रैंक या उससे नीचे के हैं। युवा अफसरों की नई टीम मिलने से बॉर्डर पर ऑपरेशनों के दौरान सैन्य दस्ते को कमांड करने वाली लीडरशिप में भी इजाफा होगा। गौरतलब है कि फिलहाल यूनिटों में जरूरी अफसरों की संख्या मानक से आधी ही है। अधिकृत संख्या 20 से 25 अफसरों की है लेकिन अभी महज 10-12 अफसर ही तैनात हैं। ऐसे में इन पर तनाव अधिक रहता है। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और चीन के साथ लगती सीमा यानी पूर्वी फ्रंट पर इन अफसरों को यूनिटों में तैनात किया जाएगा। फिलहाल सेना डीटेल्स पर काम कर रही है।
गौरतलब है कि पिछले साल जून में आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत के आदेश पर किए गए 4 अध्ययनों में से एक के निष्कर्ष के आधार यह कदम उठाया जा रहा है। इसका मकसद चुनौतियों से निपटने के लिए सेना को एक चुस्त-दुरुस्त, घातक और नेटवर्क्ड फोर्स में तब्दील करना है। अधिकारियों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय ने 'रीऑर्गनाइजेशन ऑफ द आर्मी हेडक्वॉर्टर्स' शीर्षक से की गई स्टडी में जो सुझाव दिए हैं उन सभी को स्वीकार कर लिया है। यह स्टडी मंत्रालय को 7 फरवरी को सौंपी गई थी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'यह आंकड़ा (229) इस समय मुख्यालयों पर तैनात अफसरों की संख्या का करीब 20 फीसदी है।' उन्होंने बताया कि मुख्यालयों पर अफसरों की कुल स्ट्रेंथ 1100 है। कर्नल रैंक या उससे नीचे के अफसरों के होने के कारण उनकी उम्र मिड-30 में होगी। ऐसे में बॉर्डर पर युद्धक क्षमता में इजाफा होना तय है।
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फ्रंटलाइन पर और युवा अफसरों की तैनाती करेगी भारतीय सेना युवा अफसरों