फल, सब्जी और दूध की किल्लत बढ़ाएगी भीषण सर्दी
उत्तर भारत में ठंड का कहर बढ़ता ही जा रहा है। पहाड़ी राज्यों के मुकाबले इस बार राजधानी दिल्ली में भयानक ठंड पड़ रही है। दिल्ली में ठंड ने पिछले 118 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। लेह में तापमान गिरने से सिंधु नदी जम गई है। दुनिया के दूसरे सबसे सर्द रिहायशी इलाके द्रास सेक्टर में-28 डिग्री सेल्सियस तापमान है। दिल्ली में न्यूनतम तापमान 2.4 डिग्री तक छू चुका है। अगर ऐसे ही तापमान गिरता रहा तो देश में फल, सब्जी और दूध की किल्लत हो जाएगी। जनवरी 2019 में आई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के चलते दूध के उत्पादन में 2020 में 1.6 मीट्रिक टन की कमी आ सकती है। साथ ही चावल समेत कई फसलों के उत्पादन में कमी आएगी। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में भारत को इसकी काफी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
भारत 2050 तक फल-सब्जियों के अलावा दूध के लिए भी तरस जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेब की खेती समुद्र तल से 2500 फीट की ऊंचाई पर करनी होगी। क्योंकि अभी खेती 1230 मीटर की ऊंचाई पर होती है। आने वाले वक्त में गर्मी बढ़ने से सेब के बाग सूख जाएंगे। बढ़ती सर्दी-गर्मी और मॉनसून के अनियंत्रित ठहराव या देरी से अगले साल भी फसलों पर असर दिखाई देगा। इन वजहों से 2020 में चावल के उत्पादन में 4-6 फीसदी, आलू में 11 फीसदी, मक्का में 18 फीसदी, सरसों में 2 फीसदी तक कमी आ सकती है। सबसे बुरा असर गेंहू पर पड़ेगा और इसकी उपज 60 लाख टन तक गिरेगी। रिपोर्ट के अनुसार, दूध के उत्पादन में सबसे ज्यादा गिरावट उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में देखने को मिलेगी। ग्लोबल वॉर्मिंग से इन राज्यों में गर्मी तेजी से बढ़ेगी। इससे पानी की कमी होगी और जिसका असर पशु उत्पादकता पर पड़ेगा।
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