सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले को मध्यस्थता के कारण सुलझाने का आदेश दिया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद विभिन्न पक्षों एवं राजनीतिक व हिन्दु धार्मिक संगठनों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। बीजेपी की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। इसके साथ ही हम राम भक्त भी हैं। हम एक ही बात कह सकते हैं कि जैसे वेटिकन सिटी में मस्जिद नहीं बन सकती, जैसे मक्का-मदीना में मंदिर नहीं बन सकता, उसी तरह से रामलला जहां पर हैं वहां दूसरा कोई धार्मिक स्थल नहीं बन सकता है। वहीं, उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल नहीं उठाएंगे। पहले भी समाधान तक पहुंचने के प्रयास हुए हैं लेकिन सफलता नहीं मिली। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भगवान राम का कोई भक्त या संत राम मंदिर के निर्माण में देरी नहीं चाहता है।
लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद को खत्म करने की दिशा में पहल: श्रीश्री रविशंकर
रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने शुक्रवार को कहा, लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद को खत्म करने की दिशा में हम सभी को निश्चित रूप से समाज में सौहार्द बनाये रखते हुए खुशी-खुशी मिलकर कदम उठाना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा, हम पहले ही कहा है कि हम मध्यस्थता प्रक्रिया में सहयोग करने वाले है। अब जो कुछ भी हमें कहना है, हम मध्यस्थता पैनल को कहने वाले हैं बाहर नहीं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बातचीत जारी रहने तक मीडिया रिपोर्टिंग पर भी पाबंदी लगा दी है। हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हम स्वीकार करते हैं। हम सकारात्मक तरीके से सोच रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि पैनल में श्रीश्री रविशंकर का नाम शामिल है। हमें पूरा विश्वास है कि हिंदू-मुसलमान मिलकर काम कर इस विवाद का हल निकल सकते है।
श्री श्री संवैधानिक तरीके से काम करते हैं तो कोई आपत्ति नहीं : महंत सीताराम दास
निर्मोही अखाड़े के महंत सीताराम दास ने कहा कि हम चाहते थे कि संवैधानिक व्यक्ति ही पैनल में हो। रविशंकर अगर संवैधानिक तरीके से काम करते हैं तो कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि उन्होंने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि इस पर कोई राजनीति न हो इसकारण श्रीश्री के नाम पर थोड़ी सी आपत्ति जरूर है। वहीं इस मामले में सुन्नी धर्मगुरु मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली ने कहा कि हम मध्यस्थता का हम स्वागत करते है। फिरंगी महली ने कहा कि बातचीत सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होना सबसे अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप न हो तो ज़रूर कोई हल निकल सकता है। सुन्नी धर्मगुरु ने कहा कि देश का हर बाशिंदा चाहता है कि इस मामले का हल निकल आए। इस मामले में हिन्दू महासभा के वकील विष्ठु शंकर जैन ने अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया में कहा है कि उन्हें नहीं लगता है कि मध्यस्थता कर इस केस को सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा, चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रक्रिया तय की है इसलिए हम इंतजार कर रहे हैं। वहीं अयोध्या में मौजूद साधुओं ने भी इस मध्यस्थता पैनल पर आपत्ति जाहिर करते हुए कुल मिलाकर मामले को एक बार फिर से लटकाने का काम किया गया है। विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा है मध्यस्थता का पहले भी क्या हश्र हुआ है ये लोग पहले भी देख चुके हैं। वार्ता का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कि मंदिर के मामले में उन्हें किसी तरह का समझौता स्वीकार नहीं है।
श्री श्री को न्यूट्रल रहना होगा: ओवैसी
वहीं,इस मामले में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर को शामिल किए जाने पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि श्री श्री रविशंकर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ बनाया है लेकिन उनका पहले का एक बयान सबके सामने है जिसमें वह कहते हैं कि अगर मुसलमान अयोध्या पर अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा। उन्होंने कहा, श्रीश्री का 4 नवंबर 2018 का ऑन रिकॉर्ड स्टेटमेट हैं, जिसमें वह सीरिया बनने की मुसलमानों को धमकी दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने श्री श्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाया है तो उन्हें न्यूट्रल रहना होगा।
नेशन
योध्या पर मध्यस्थता पर केन्द्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा, अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा