कुछ अपराधी आईएमईआई संख्या को दोबारा प्रोग्राम कर लेते हैं: अंशु प्रकाश
दूरसंचार सचिव और डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष अंशु प्रकाश ने कहा कि देश में फोनों की संख्या 100 की आबादी के पीछे 242 मोबाइल हो गई है और मोबाइल हैंडसेट रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का जरिया बन चुका है। इसलिए मोबाइल को एक प्रणाली के साथ सुरक्षित करना समय की मांग है। अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (आईएमईआई) मोबाइल फोन की एक अनेखी पहचान है। ½ सिम कार्ड के साथ एक फोन ½ आईएमईआई नंबर के साथ प्रोग्राम किया हुआ होता है। आईएमईआई प्रोग्राम किया हुआ होने के कारण कुछ अपराधी आईएमईआई संख्या को दोबारा प्रोग्राम कर लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उसी आईएमईआई संख्या के साथ अनेक उपकरणों की आईएमईआई की क्लोनिंग हो जाती है। आज की तारीख में नेटवर्क में क्लोन/डुप्लीकेट आईएमईआई हैंडसेट के अनेक मामले हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे आईएमईआई को ब्लॉक कर दिया जाए, तो समान आईएमईआई के साथ हैंडसेट होने के कारण बड़ी संख्या में मोबाइल फोन ब्लॉक हो जाएंगे, जिससे अनेक ग्राहकों को असुविधा होगी। अत: नेटवर्क से डुप्लीकेट/फर्जी आईएमईआई मोबाइल फोनों को हटाने की आवश्यकता है। तदानुसार केन्द्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) प्रणाली नाम की इस परियोजना को दूरसंचार विभाग ने मोबाइल हैंडसेट की दोबारा प्रोग्रामिंक सहित सुरक्षा, चोरी और अन्य चिंताओं को दूर करने के लिए हाथ में लिया है।
- दिल्ली में परियोजना की शुरुआत से यह आसान होगा:
चोरी अथवा खोये हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक कराने का ग्राहकों का अनुरोध।
मोबाइल नेटवर्क पर ऐसे मोबाइल फोनों को ब्लॉक कराना।
समान आईएमईआई नंबर के साथ मोबाइल फोन वाले अन्य वर्तमान ग्राहकों के लिए सेवाओं की अनुमति।
मोबाइल का पता लग जाने की तारीख को पुलिस अधिकारियों के साथ साझा करना।
चोरी अथवा खोये हुए मोबाइल फोनों के बरामद होने पर उन्हें खोलना।
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कुछ अपराधी आईएमईआई संख्या को दोबारा प्रोग्राम कर लेते हैं: अंशु प्रकाश