दिल्ली विस चुनाव में इस बार होगा वोटर स्लिप पर क्यूआर कोड की तकनीक का इस्तेमाल
-वोटिंग में आपके मोबाइल का होगा अहम रोल
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में हाईटेक होगा। हालांकि अभी विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा नहीं हुई है। भले ही अब तक मोबाइल फोन मतदान केंद्र के अंदर लेकर जाने की इजाजत ना हो लेकिन अब मोबाइल से वोटर की पहचान होगी। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने खास इंतजाम किए हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार वोटर स्लिप पर क्यूआर कोड की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। वोटर अब मतदान केंद्र पर मोबाइल फोन भी लेकर जा सकेंगे। इस बार मतदान के दौरान मोबाइल फोन पर मिली क्यूआर कोड वाली पर्ची से वोट डाल सकेंगे। बूथ पर मौजूद मतदान अधिकारी मोबाइल के ज़रिए क्यूआर स्कैन करेंगे। जिसके बाद पर्ची मिलेगी और वोटर की पहचान हो जाएगी। इसके बाद मोबाइल फोन बूथ के बाहर मौजूद लॉकर में जमा होगा। वोट डालने के बाद मोबाइल वापस मिल जाएगा।
देश के लोकतांत्रिक और चुनावी इतिहास में दिल्ली ऐसा पहला केंद्र शासित राज्य या पूर्ण राज्य होगा जहां पहली बार हर मतदान केंद्र पर 'बूथ ऐप' का इस्तेमाल किया जाएगा। इस अत्याधुनिक तकनीक के जरिए मतदाताओं की वोटर स्लिप में क्यूआर कोड का इस्तेमाल करने से चुनावी प्रक्रिया में काफी तेजी और पारदर्शिता आएगी। 'बूथ ऐप' के जरिए मतदाताओं को बूथ के बाहर लगी कतार की भी सटीक जानकारी मिल सकेगी, जिससे वो अपनी सुविधा के मुताबिक पोलिंग स्टेशन पर वोट डालने जा सकें। इसके अलावा इस ऐप से रियल टाइम मतदान का आंकड़ा भी प्राप्त किया जा सकेगा। इस पूरी कवायद के पीछे चुनाव आयोग की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग मतदान करने के लिए पोलिंग स्टेशनों पर पहुंचें। साथ ही कतार में इंतज़ार करते हुए उनका समय भी बर्बाद ना हो। पहले की तरह बूथ पर छोटे बच्चों के लिए क्रेच होगा, ताकि उनके माता-पिता आराम से वोट दे सकें। इसके अलावा अन्य व्यवस्थाओं के तहत बूथ पर पीने का पानी और दिव्यांग मतदाताओं की सुविधा के लिए रैंप और दृष्टिहीन मतदाताओं के लिए ब्रेल लिपि में ईवीएम पर सारी जानकारी भी होगी।
ज्ञात हो कि दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच अहम मुकाबला होगा। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टीको कुल 70 सीटों में से 67 सीटें मिली थीं। भारतीय जनता पार्टी ने तीन सीटें हासिल की थीं तो वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था।
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