एकरिसर्च में पहली बार पता चला है कि दिल की एक बीमारी में दरअसल दिल से ज्यादा दिमाग का हाथ होता है। शोधकर्ताओं ने देखा कि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के मरीजों के दिमाग के कुछ खास हिस्सों का आपसी तालमेल बिगड़ जाता है। ये वही हिस्से हैं जो भावनाओं को नियंत्रित करने के साथ-साथ शरीर की अवचेतन गतिविधियों जैसे दिल की धड़कनों, सांस लेने और पाचन को भी नियंत्रित करते हैं। यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपी इस रिपोर्ट के अनुसार, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसमें अचानक से दिल की कुछ मांसपेशियां अस्थायी तौर पर कमजोर हो जाती हैं। इस वजह से दिल का बायां निचला भाग फूल जाता है जबकि उसका ऊपरी हिस्सा संकरा रहता है। इसकी आकृति उस पिंजरे जैसी हो जाती है जिसे जापान में ऑक्टोपस को पकड़ने के लिए उपयोग किया जाता है। उसी के नाम पर से टाकोटसूबो सिंड्रोम या टीटीएस कहते हैं।
इस दुर्लभ बीमारी के बारे में पहली बार 1990 में पता चला था। अध्ययनों से पता चला है कि दुख, गुस्सा, डर या बहुत अधिक खुशी की भावनाओं की वजह से इस सिंड्रोम की शुरुआत होती है। मरीज को छाती में दर्द होता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। इससे उसे दिल का दौरा भी पड़ सकता है। हालात गंभीर होने पर जान तक जा सकती है। उल्लेखनीय रूप से यह रोग महिलाओं में आम है, केवल 10 प्रतिशत पुरुषों में ही यह रोग देखा जाता है। इस रिसर्च में अहम भूमिका निभाने वाले प्रोफेसर क्रिश्चियन टेम्पलिन का कहना है कि, दिलचस्प रूप से देखा गया कि दिमाग के चार हिस्से जो हैं तो एक-दूसरे से दूर लेकिन वे एक-दूसरे से सूचनाएं आपस में शेयर करते हैं। हमने देखा है कि टीटीएस के मरीजों में सूचनाओं का यह आदान-प्रदान कम हो जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह जानकारी इस लिहाज से अहम है कि इस बीमारी के जरिए दिल और दिमाग के अहम रिश्ते को समझने की कोशिश की गई है।
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ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम में दिमाग भी जिम्मेदार