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उज्जैन संसदीय सीट- इस बार भाजपा-कांग्रेस में कौन समझ पाएगा मतदाताओं का मिजाज

उज्जैन संसदीय सीट- इस बार भाजपा-कांग्रेस में कौन समझ पाएगा मतदाताओं का मिजाज

भगवान महाकाल की नगरी और मालवा क्षेत्र की महत्वपूर्ण संसदीय सीट उज्जैन को लेकर इस बार चुनाव में भाजपा-कांग्रेस में जोरदार घमासान के आसार हैं। यहां बाजी वही मारेगा जो मतदाताओं के मिजाज को समझ पाएगा। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की पकड़ रही है। इस सीट पर कांग्रेस ने शुरुआत में जीत हासिल की, लेकिन उसके बाद वह लगातार यहां पर कमजोर होती गई। उज्जैन लोकसभा सीट पर अगर सबसे ज्यादा किसी उम्मीदवार ने जीत हासिल की है तो वो भाजपा के सत्यनारायण जटिया हैं। उन्होंने सात चुनावों में यहां पर जीत हासिल की। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है और प्रो. चिंतामणि मालवीय यहां के सांसद हैं। 
उज्जैन में पहला लोकसभा चुनाव साल 1957 में हुआ। तब कांग्रेस के व्यास राधेलाल ने जीत हासिल की थी। उन्होंने भारतीय जनसंघ के भार्गव कैलाश प्रसाद को हराया था। इसके अगले चुनाव यानी 1962 में भी कांग्रेस को जीत मिली है। 1967 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। परिसीमन के बाद यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई और 1967 में यहां पर उसको पहली बार इस सीट पर हार मिली। अगले 3 चुनाव में भी कांग्रेस को यहां पर लगातार हार मिली। 1984 में कांग्रेस ने एक बार फिर सीट पर वापसी की और सत्यनारायण पवार ने यहां पर जीत हासिल की। हालांकि 1984 की जीत को सत्यनारायण 1989 के चुनाव में दोहरा नहीं सके और यहां पर उनको हार मिली। 1984 में सत्यनारायण पवार से हारने वाले भाजपा के सत्यनारायण जटिया ने इस बार जीत हासिल की। 
2011 की जनगणना के मुताबिक उज्जैन की जनसंख्या 22,90,606 है। यहां की 63.49 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 36.51 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। यहां पर अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है। 26 फीसदी आबादी यहां की अनुसूचित जाति के लोगों की है और 2.3 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के चुनाव में उज्जैन में 15,25,481 मतदाता थे। इसमें से 7,34,592 महिला मतदाता और 7,90,889 पुरूष मतदाता थे.2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 66.63 फीसदी मतदान हुआ था। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रो. चिंतामणि मालवीय ने कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को मात दी थी। इस चुनाव में चिंतामणि को 6,41,101 वोट मिले थे और प्रेमचंद को 3,31,438 वोट मिले थे. दोनों के बीच जीत हार का अंतर 3,09,663 वोटों का था। वहीं बसपा उम्मीदवार रामप्रसाद .98 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे. इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को जीत मिली थी। उन्होंने बीजेपी के सत्यनारायण जटिया को हराया था. प्रेमचंद को 3,26,905 वोट मिले थे तो वहीं सत्यनारायण को 3,11,064 वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 15,841 वोटों का था। वहीं बसपा 1.38 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी। 50 साल के चिंतामणि मालवीय 2014 में जीतकर पहली बार सांसद बने। 

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