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केजरीवाल के मुकाबले भाजपा से कौन होगा सीएम चेहरा, भाजपा दिल्ली प्रभारी ने दिया जवाब

केजरीवाल के मुकाबले भाजपा से कौन होगा सीएम चेहरा, भाजपा दिल्ली प्रभारी ने दिया जवाब

केजरीवाल के मुकाबले भाजपा से कौन होगा सीएम चेहरा, भाजपा दिल्ली प्रभारी ने दिया जवाब
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिल्ली के प्रभारी श्याम जाजू ने कहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव मंन पार्टी के पास मुख्यमंत्री के लिए चेहरों की कमी नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि बीजेपी किसी व्यक्ति विशेष या खानदान की नहीं बल्कि काडर आधारित पार्टी है। ऐसे में यहां तमाम चेहरे हैं। श्याम जाजू ने कहा, 'दिल्ली भाजपा का पुराना गढ़ रहा है। दिल्ली में हमने राज भी किया है। सभी सांसद हमारे हैं, तीनों निगम हमारे हैं। हमारे पास चेहरों की कमी नहीं है। ये पार्टी कोई केजरीवाल की तरह सिंगल मैन पार्टी है क्या? यह पार्टी कोई एक परिवार थोड़ी चलाता है, गांधी परिवार पूरी कांग्रेस चलाता है। हमारा पार्लियामेंट्री बोर्ड बैठेगा और दिल्ली के विषय में रणनीति बनाएगा और जब भी कुछ तय होगा तो आपको मालूम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कच्ची कालोनियों के लोगों को मालिकाना हक देने का भाजपा ने वादा किया था। मोदी सरकार ने जो कहा वो करके दिखा दिया। आज से ही रजिस्ट्री चालू हो गई। जबकि केजरीवाल सरकार ने इसमें अड़ंगा डालने का काम किया। अब आने वाले वक्त में सरकार जहां झुग्गी वहीं मकान योजना पर काम करेगी। हर झुग्गी वाले को पक्का मकान मिलेगा।
गौरतलब है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि आप ने 67 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस को न केवल पराजय का मुंह देखना पड़ा था बल्कि 70 सदस्यीय विधानसभा में उसकी झोली बिल्कुल खाली रह गई थी। इससे पहले 1998 से लेकर 2013 तक कांग्रेस ने स्व. शीला दीक्षित की अगुवाई में दिल्ली में सरकार चलाई थी। वर्ष 2013 में हुए चुनाव में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी और उसके केवल आठ सीटों पर विजय मिली थी। इस चुनाव में बीजेपी बहुमत से चार सीट दूर रह गई थी। पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी (आप) को 29 सीटें मिली थीं और उसने कांग्रेस के समर्थन से केजरीवाल की अगुवाई में सरकार बनाई थी। यह सरकार 49 दिन चली और केजरीवाल ने कांग्रेस से मतभेद होने पर इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 2015 के चुनाव में आप को 70 में से 67 सीटों पर ऐतिहासिक विजय मिली थी और बीजेपी के मात्र तीन विधायक ही जीत पाए थे।

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