भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा वेनेजुएला अब नए संकट से घिर गया है। भारी बिजली संकट के चलते पूरा देश गुरूवार देर रात से अंधेरे में डूब गया है। इस ब्लैकआउट के सार्वजनिक परिवहन थम गया है। खाद्य आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इसके साथ ही अस्पतालों में इलाज करा रहे हजारों मरीजों के जीवन को खतरा पैदा हो गया है। देश को लगभग 70 फीसदी ऊर्जा प्रदान करने वाले दक्षिणी राज्य बोलिवर के गुरी स्थित मुख्य जलविद्युत स्टेशन बंद होने के कारण देश में ब्लैकआऊट हो गया है। वेनेजुएला सरकार को देश में ठप्प बिजली आपूर्त्ति बहाल करने के लिए शुक्रवार को खासी मशक्कत करनी पड़ी। ब्लैकआऊट से मादुरो और विपक्ष के नेता जुआन गुइदो के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर तनाव और बढ़ गया है।
गुइदो को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। उपराष्ट्रपति डेल्सी रॉड्रिगेज ने ट्वीट किया मादुरो ने देश में बिजली सेवा बहाल करने के प्रयासों के तहत कार्यालयों और स्कूलों को बंद करने का निर्णय लिया। बिजली मंत्री लुइस मोत्ता डोमिंगुएज़ ने ब्लैकआउट को बिजली युद्ध और तोड़फोड़ का कार्य कहा। वेनेजुएला के नेशनल इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन में एक पूर्व बिजली कार्यकारी ने बताया पावर स्टेशन पर आउटेज सबसे अधिक पुराने उपकरणों और खराब रखरखाव का परिणाम था। वेनेजुएला के अधिकारियों ने तोड़फोड़ के माध्यम से ब्लैकआउट करने के लिए विपक्ष और संयुक्त राज्य अमेरिका को जल्दी से दोषी ठहराया, लेकिन सबूत नहीं दिए। विश्लेषकों और बिजली क्षेत्र के ठेकेदारों ने कहा ब्लैकआउट वर्षों के कुशासन और भ्रष्टाचार का परिणाम है, जिसने ग्रिड, ट्रांसमिशन टावरों और पीढ़ी संयंत्रों को ब्रेकिंग पॉइंट पर ला दिया है।
उल्लेखनीय है कि वेनेजुएला इस समय भीषण आर्थिक व राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। आलम यह है कि यहां पर लोगों को खाने के लाले पड़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वहां भुखमरी का आलम यह है कि एक किलो चावल के लिए लोग एक दूसरे की हत्या करने से नहीं चूक रहे हैं। इतना सब होने के बाद भी वहां के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने अंतरराष्ट्रीय मदद से यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि उनका देश भिखारी नहीं है। यह हाल तब है जब आर्थिक तौर पर बदहाली का सामना कर रहे वेनेजुएला में मुद्रास्फीति की दर 13 लाख फीसदी तक बढ़ चुकी है।
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भीषण आर्थिक संकट में फंसे वेनेजुएला में ब्लैक आउट, अंधेरे में डूबा 70 फीसदी देश