सरकारी खजाने का ईमानदारी से उपयोग किया जा सके: फारूक खान
राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान (एनआईएफएम), राष्ट्रीय सुशासन केन्द्र (एनसीजीजी) और प्रबंधन, लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास संस्थान (आईएमपीएआरडी) के सहयोग से प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा आयोजित क्षमता निर्माण पर विचार विमर्श का समापन हुआ, इसमें तीसरे दिन वक्ताओं का फोकस सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर रहा है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान ने अधिकारियों से आह्वान किया कि वे आज के जीईएम सत्र से अधिकतम लाभ प्राप्त करें, ताकि सरकारी खजाने का ईमानदारी से उपयोग किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी खरीद ठीक से और समय पर की जाती है तो यह लोगों के कल्याण के मूल उद्देश्य को पूरा करेगा। उन्होंने इस तरह के आयोजन के लिए डीएआरपीजी, एनआईएफएम, एनसीजीजी और आईएमपीएआरडी की भी सराहना की। जीईएम के जरिए खरीद पर व्यावहारिक सत्र के दौरान भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और जीईएम के मुख्य वित्त अधिकारी राजीव खण्डपाल ने कहा कि यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम जम्मू एवं कश्मीर के अधिकारियों को उनके रोजाना के प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य के निपटान के दौरान सामान्य वित्तीय नियमों एवं वित्तीय मामलों में अधिक व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करेगा। राजीव खंडपाल ने कहा कि 'जीईएम संवाद' सरकार द्वारा लॉन्च किया है जिसका उद्देश्य जीईएम के बारे में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ऑन स्पॉट फीडबैक प्राप्त करना है। उन्होंने कहा कि इस आउटरीच कार्यक्रम से जीईएम के वरिष्ठ अधिकारी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का दौरा करेंगे ताकि इस बारे में फीडबैक प्राप्त की जा सके कि जीईएम पोर्टल को उपयोगकर्ता के और अधिक अनुकूल कैसे बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें विभिन्न विभागीय उपकरणों के माध्यम से 25% तक सरकारी खजाने में बचत कर सकती हैं। दोपहर के सत्र के दौरान, जीईएम के बिजनेस फेसिलिटेटर कुश त्यागी ने 'क्रेता के कामकाज' पर एक प्रस्तुति दी, जिसने जीईएम पोर्टल पर प्राथमिक और द्वितीयक उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकरण के लिए पूर्व-आवश्यताओं पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने ऑनस्पॉट प्रदर्शन दिया कि जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों द्वारा जीईएम पोर्टल पर किसी क्रेता का कैसे पंजीकरण किया जाए।
रीजनल नार्थ
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