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रिठाला-बवाना-नरेला कॉरिडोर पर दौड़ेगी 3 कोच की लाइट मेट्रो

रिठाला-बवाना-नरेला कॉरिडोर पर दौड़ेगी 3 कोच की लाइट मेट्रो

रिठाला-बवाना-नरेला कॉरिडोर पर दौड़ेगी 3 कोच की लाइट मेट्रो 
 मेट्रो फेज-4 के बचे हुए तीन कॉरिडोर में से महज एक रिठाला-बवाना-नरेला पर लाइट मेट्रो चलेगी। बाकी दो कॉरिडोर पर सामान्य मेट्रो चलेगी। केंद्र सरकार के निर्देश पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से बनी संशोधित डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में यह बात सामने आई है। मेट्रो फेज-4 में 104 किलोमीटर के छह कॉरिडोर पर निर्माण होना था। मगर बीते साल उसमें से 60.61 किलोमीटर वाले तीन कॉरिडोर को ही मंजूरी मिली थी। 43.45 किलोमीटर वाले बाकी बचे तीन कॉरिडोर को लेकर कई आपत्तियां थी। इसमें सबसे बड़ी आपत्ति थी कि इस पर यात्री कम थे। केंद्र सरकार ने डीएमआरसी से सस्ती तकनीकी वाली लाइट मेट्रो बनाने के लिए दोबारा डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया था। सूत्रों के अनुसार डीएमआरसी ने दिल्ली सरकार को अब जो डीपीआर भेजी है उसमें सबसे बड़े 21.73 किलोमीटर वाले रिठाला-बवाना-नरेला वाले कॉरिडोर पर ही लाइट मेट्रो चलाई जा सकती है। बाकी दो कॉरिडोर लाजपत नगर से साकेत जी ब्लॉक और इंद्रप्रस्थ से इंद्रलोक कॉरीडोर पर यह संभव नहीं है। फिलहाल, यह डीपीआर मंजूरी के लिए दिल्ली सरकार के पास है। कैबिनेट से मंजूरी के बाद अंतिम मंजूरी के लिए इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
- बाहरी दिल्ली के इलाके जुड़ेंगे 
इस सेक्शन के बनने से बाहरी दिल्ली के कई इलाके सीधे मेट्रो से जुड़ जाएंगे। यह लाइन मौजूदा रेड लाइन के रिठाला स्टेशन से शुरू होगी। यहां एक इंटरचेंज स्टेशन बनेगा। इस रूट पर कुल 19 मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे। इसमें 14 एलिवेटेड जबकि पांच भूमिगत मेट्रो स्टेशन होंगे। इस पूरे लाइन की लागत करीब 2,714 करोड़ रुपये आएगी। लाइट मेट्रो की अधिकतम डिजाइन स्पीड 70 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। सामान्य मेट्रो में यह 95 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। परिचालन की अधिकतम स्पीड सामान्य मेट्रो की 80 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। वहीं, लाइट मेट्रो में यह 60 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। दिल्ली मेट्रो फेज चार में कुल 104 किलोमीटर लंबे छह कॉरिडोर बनने थे। लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच मेट्रो किराये को लेकर बढ़े विवाद के बाद यह मामला लटकता चला गया। बीते साल मार्च में छह में से तीन कॉरिडोर को ही मंजूरी मिली थी। बाकी तीन कॉरिडोर रह गए थे। उनकी लागत अधिक होने और यात्री नहीं मिलने की संभावना को देखते हुए उसपर कम लागत से बनने वाली लाइट मेट्रो बनाने का प्रस्ताव था। अब डीएमआरसी ने संशोधित डीपीआर सौंप दी है।

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