
मदर इंडिया' न होती तो नरगिस कभी नरगिस दत्त न होतीं
मदर इंडिया हिंदी फिल्मों की कालजयी फिल्मों में शुमार है। इस फिल्म को लेकर कई किस्से मशहूर हैं और कई रिकॉर्ड इस फिल्म से जुड़े हुए हैं। 14 फरवरी 1957 को रिलीज़ हुई इस फिल्म की स्टार कास्ट को इस फिल्म के सुपरहिट हो जाने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। नरगिस दत्त और सुनील दत्त की प्रेम कहानी और शादी भी इस फिल्म का एक खास किस्सा है। अगर ये फिल्म न होती तो नरगिस कभी नरगिस दत्त न होतीं और शायद फिल्म परिवारों का इतिहास भी कुछ अलग होता।
दरअसल इस फिल्म के निर्देशक महबूब खान जब इस फिल्म की स्टार कास्ट को फाइनल कर रहे थे तो सुनील दत्त के किरदार के लिए पहले दिलीप कुमार का नाम उनके दिमाग में था। महबूब खान दिलीप को लेकर बिल्कुल तैयार थे कि तभी नरगिस ने इस पर आपत्ति जता दी। नरगिस का कहना था कि वो दिलीप के साथ इतनी फिल्मों में प्रेमिका का किरदार निभा चुकी हैं कि वो उनकी मां का किरदार नहीं निभा सकती थीं।
नरगिस का कहना था कि उनका और दिलीप का एक पेयर है और सिनेमा की वो इमेज बहुत स्ट्रांग है। नरगिस को लगता था कि उनके बेटे के किरदार में दिलीप कुमार को लोग पचा नहीं पाएंगे और हो सकता है फिल्म फ्लॉप हो जाए।
नरगिस के अड़ जाने के बाद ये महबूब खान के लिए मुश्किल हो गया था कि दिलीप की जगह कौन हीरो बनेगा। सुनील दत्त तब एक न्यूकमर थे लेकिन ऑडिशन में महबूब और नरगिस दोनों को ही सुनील की एक्टिंग पसंद आई और शायद नियति को भी यही मंजूर था। मदर इंडिया में दिलीप की जगह सुनील दत्त हीरो बने और फिल्म इतिहास रच गई।
दिलीप कुमार और नरगिस ने कई फिल्में साथ में की..अंदाज में राजकपूर, नरगिस और दिलीप कुमार के लव ट्राइंगल ने खूब धमाल मचाया था। फिर ऐसा हुआ कि पहले तो दिलीप कुमार ने नरगिस के साथ काम करने से मना कर दिया और फिर नरगिस ने भी दिलीप कुमार के साथ काम करने से इंकार कर दिया।