कनाडा की क्यूबैक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल और लैवैल यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में ये चौकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं। अध्ययन के मुताबिक, एक हफ्ते में 45 घंटे से अधिक काम करने वाली महिलाओं को डायबिटीज यानी मधुमेह का खतरा 70 फीसदी तक अधिक होता है। वहीं अगर बात पुरुषों की करें, तो हफ्ते में 30 से 40 घंटे काम करने वाले पुरुषों को महिलाओं की तुलना में डायबिटीज का खतरा नहीं होता है। एक अनुमान के मुताबिक, 2030 तक दुनिया भर में 439 मिलियन व्यस्क डायबिटीज की चपेट में होंगे। जो कि साल 2010 के आंकड़ों से लगभग दोगुने हैं। अध्ययन में सामने आया कि लंबे समय तक काम करने वाली महिलाओं में डायबिटीज के मामले 63 प्रतिशत तक अधिक थे। वहीं मर्दों में ज्यादा उम्र वाले और ज्यादा वजन वाले लोगों में डायबिटीज पाई गई। इस शोध के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि कामकाजी महिलाओं के देर तक काम करने से डायबिटीज का खतरा इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि महिलाएं देर तक काम करने के अलावा घर के कामों व अन्य जिम्मेदारियों की भी चिंता करती हैं। इस कारण वे तनाव का शिकार हो जाती हैं। तनाव के कारण उनमें शारीरिक बदलाव होते हैं। इससे महिलाओं के शरीर में हार्मोंस का संतुलन बिगड़ जाता है और इंसुलिन की प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है। दूसरी ओर दिलचस्प बात यह है कि काम करने की अवधि का पुरुषों में डायबिटीज पर कोई असर नहीं पड़ता है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 7,065 लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड्स को खंगाला। यह सभी प्रतिभागी 35 से 74 वर्ष के बीच के थे। शोधकर्ताओं ने इनके12 सालों के स्वास्थ्य के आंकड़ों को इकट्ठा किया।
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45 घंटे से ज्यादा काम वाली महिलाओं को डायबिटीज का खतरा - कनाडा में हुए अध्ययन में चौकाने वाला खुलासा