सैन्य सूत्रों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उस बयान को खारिज किया है जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर गंभीर आरोप लगाए थे। गांधी ने कहा था कि डोभाल जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के साथ 1999 में कंधार गए थे जहां उसे भारतीय विमान यात्रियों को छुड़ाने की एवज में मुक्त किया गया था। मसूद की रिहाई के लिए आतंकियों ने एक भारतीय विमान का अपहरण कर लिया था। एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, 'वह (डोभाल) उस विमान में सवार नहीं थे जिसमें कि अजहर को कंधार ले जाया गया था ताकि आईसी-814 में सवाल 161 यात्रियों को सकुशल बचाया जा सके।' उस समय डोभाल खुफिया ब्यूरो के अतिरिक्त निदेशक थे। डोभाल अजहर की रिहाई से पहले कंधार गए थे ताकि आईएसआई नियंत्रित हाईजैकर्स और तालिबान के नेताओं के साथ बातचीत कर सकें। यह दावा तत्कालीन गृहमंत्री लालाकृष्ण आडवाणी और रॉ के मुखिया रहे एएस दुलात ने अपनी किताबों माई कंट्री, माई लाइफ और द वाजपेयी ईयर्स में किया है। उस समय विदेश मंत्री रहे जसवंत सिंह आतंकी अजहर और दो आतंकियों के साथ विमान में सवार थे। इन दोनों आतंकियों ने बाद में अमेरिकन पत्रकार डेनियल पर्ल और मुश्ताक जारगर की हत्या कर दी थी। सूत्र ने कहा, 'वाजपेयी सरकार ने अजहर को छोड़ने का फैसला किया था ताकि 161 भारतीयों की जिंदगी को बचाया जा सके। आतंकियों ने शपथ ली थी कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तो वह उन सभी को मार देंगे। यह अच्छा या बुरा जैसा निर्णय था इसपर चर्चा हो सकती है लेकिन इससे उस अधिकारी पर उंगली नहीं उठाई जा सकती जिसने निर्देशों का पालन किया था। आतंकी 13 अरब 94 करोड़ 27 लाख रुपये की फिरौती के साथ ही भारतीय यात्रियों के बदले भारतीय जेलों में कैद 36 आतंकवादियों की रिहाई चाहते थे। डोभार और दूसरे भारतीय वार्ताकार जिसमें खुफिया ब्यूरो के एनएस संधू और वरिष्ठ रॉ अधिकारी सीडी सहाय भी शामिल थे उन्होंने आतंकियों से उनकी मांगे कम करवाने में सफलता हासिल की। हालांकि आतकियों ने धमकी दी थी कि अगर अजहर और ओमार शेख को रिहा नहीं किया गया तो वह यात्रियों को मार देंगे।