बच्चे नहीं पढ़ते तो करें ये बदलाव
सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई में अव्वल रहें पर यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है। वह पढ़ने के नाम पर बहाने बनाने लगता है। उसका खेलने में अधिक ध्यान लगता हैं, तो आप कुछ आसान से बदलाव करें। दिशा- बच्चों का मन पढाई में लगाने के लिए उनका कमरा पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा की ओर बनवाएं तथा कमरे का दरवाजा भी इसी दिशा में लगवाएं। इससे आपके बच्चे का मन पढाई में लगने लगेगा।
शौचालय- बच्चों की पढाई का कमरा शौचालय के नीचे न बनवाएं। इसके साथ ही कमरे में शीशे को ऐसे स्थान पर न लगाएं, जहाँ से किताबों पर शीशे की छाया पड़ें। इससे बच्चे के ऊपर पढाई का दबाव बनता हैं।
मुख- बच्चों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
एकाग्रता- पढाई करते समय बच्चों को किसी भी फर्नीचर जैसे – पलंग, दीवार या खुली हुई अलमारी का सहारा न लेने दें। इससे बच्चे की मन स्थिर नहीं रह पाता।
बच्चों के सोने की दिशा– जिन बच्चों का मन पढाई में बिल्कुल नहीं लगता उनको उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए।
खिड़की- बच्चों के कमरे के खिड़की पूर्व दिशा की ओर बनवाएं। और उसे अधिक समय खुला रखें। इससे कमरे में ताज़ी हवा का प्रवेश होगा और बच्चे के मन में नकारात्मकता नहीं आएगी तथा बच्चे के कमरे से विषाक्त तत्वों को बाहर रखेगी।
किताबों की अलमारी– बच्चों की किताबें रखने की अलमारी कभी भी उसके स्टडी टेबल के ऊपर न बनवाएं। क्योंकि इससे भी बच्चों के ऊपर पढाई का दबाव बनता हैं।
पढ़ाई की टेबल- बच्चों की स्टडी टेबल को हमेशा खिड़की के सामने रखें। जिससे उस पर सूर्य का प्रकाश पड़ सके। इसके साथ ही बच्चों की स्टडी टेबल को पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में रखें तथा उस पर यदि खेलने का समान हो तो उसे हटा दें। टेबल को हमेशा साफ रखें। उस पर किताबों को फैला कर न रखें। इससे बच्चा पढाई में अधिक ध्यान केन्द्रित कर पायेगा।
स्टडी लैम्प- वास्तु शास्त्र के अनुसार बच्चों की स्टडी टेबल पर एक स्टडी लैम्प जरूर लगायें।इससे बच्चों का मन एकाग्र होगा और उसके मन में नए – नए विचार आएंगे।
बाथरूम का दरवाजा- बच्चों के कमरे को बनवाते समय यह ध्यान रखें कि बच्चों के कमरे स्थित बाथरूम का दरवाजा उसके पलंग के विपरीत न हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार माना गया हैं कि इससे बाथरूम का दरवाजा बच्चे के कमरे में उपस्थित सारी ऊर्जा को अपने अन्दर खींच लेता हैं।
आकार- आप बच्चों के कमरे को आयताकार, वर्गाकार में बनवा सकते हैं। लेकिन यदि आप बच्चे के कमरे को श्रेष्ठ आकार देना चाहते हैं, तो आयताकार में ही बच्चों का कमरा बनवाएं। क्योंकि यह आकार चारों दिशाओं को संतुलित करता हैं और जिससे उसके कमरे में पंचों तत्व भी संतुलित रहते हैं।
दीवारों का रंग-बच्चों के कमरे में हरे रंग का पेंट करवाएं। क्योंकि इससे बच्चे का मन अधिक शांत रहता हैं। यदि आपके बच्चा ज्यादा क्रोधी स्वभाव का हैं तो उसके कमरे की दीवारों पर नीला रंग करवाएं।
कम्प्यूटर- आजकल हर घर में कम्प्यूटर की व्यवस्था होती हैं तथा एक ऐसा उपकरण हैं जिसकी ओर बच्चे जल्दी आकर्षित होते हैं। यदि आप अपने बच्चे के कमरे में कम्प्यूटर रखना चाहते हैं तो इसे दक्षिण पूर्वी कोण में रखें।
कक्षा में पीछे बैठने की आदत– यदि आपका बच्चा अपनी कक्षा में सबसे पीछे तथा कोने में बैठता हैं तो उसे आगे बैठने के लिए प्रोत्साहित करें। क्योंकि पीछे बैठने से बच्चों का ध्यान उसके आस – पास हो रही विभिन्न क्रियाओं पर जाता हैं, तथा कोने में बैठने से बच्चे के मन में नकारात्मक विचार अधिक आते हैं उसका मन अन्य गलत कार्यों में अधिक लगता हैं तथा उसके अंदर की प्रतिभाएं छुप जाती हैं।
पर्दे – यदि आपका बच्चा प्रश्नों के उत्तर याद कर लेता हैं लेकिन परीक्षा में वह सब कुछ भूल जाता हैं तो उसके कमरे में हरे रंग के पर्दे लगायें। हरा रंग आंखों को राहत प्रदान करता है। हरे रंग के पर्दे लगाने से जब वह पढाई करेगा तो उसे शांति मिलेगी तथा इसके साथ ही वह पढाई में अपना ध्यान पूरी तरह से केन्द्रित कर पायेगा और उसे याद भी अच्छी तरह से होगा।
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