YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आरोग्य

पेट की पिछली जेंब में रखा पर्स कर रहा आपकों बीमार 

पेट की पिछली जेंब में रखा पर्स कर रहा आपकों बीमार 

पेट की पिछली जेंब में रखा पर्स कर रहा आपकों बीमार 
आमतौर पर माना जाता है कि जिसका पर्स जितना ज्यादा मोटा होगा, उसका रूतबा भी उतना ही बड़ा होगा। लोग पर्स में रुपयों के अलावा क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, विजिटिंग कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आईडी प्रूफ और न जाने क्या-क्या चीजें रखकर निकल पड़ते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पैंट की पिछली जेब में रखे इस पर्स से कितनी गंभीर परेशानियों को बुलावा दे रहे हैं? डॉक्टरों के अनुसार पिछली जेब में आराम फरमा रहा पर्स हमारे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।पिछली जेब में रखा हुआ भारी-भरकम पर्स आपके हिप ज्वाइंट और कमर के निचले हिस्से में दर्द पैदा करता है। कूल्हे में एक नस होती है, जिस साइटिका कहते हैं। जब पिछली जेब में पर्स रखकर हम ज्यादा देर तक बैठते हैं, तो साइटिका दब जाती है। इसके दबने से हिप ज्वाइंट और कमर के निचले हिस्से में दर्द शुरू होता है, जो बढ़ते-बढ़ते पंजे तक पहुंच जाता है।इस आम भाषा में पैर का सुन्न हो जाना या पैर का सो जाना कहते हैं। लेकिन साइंस की भाषा में इस शूटिंग पेन कहा जाता है। 
पिछली जेब में मोटा पर्स रखने की वजह से कूल्हा एक तरफ झुका रहता है, जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी पर और ज्यादा दबाव पड़ता है। सीधे बैठने के बजाय कमर के निचले हिस्से में इंद्रधनुष जैसा आकार बन जाता है। पर्स जितना ज्यादा मोटा होगा, शरीर उतना ज्यादा एक तरफ झुकेगा और उतना ही ज्यादा दर्द होगा। मोटा पर्स रखने से रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ सकता है। इस तरह की सबसे ज्यादा समस्या कोचिंग स्टूडेंट्स को होती है, क्योंकि वह पिछली जेब में पर्स डालकर 8-8 घंटे तक क्लासेज में बैठे रहते हैं। हमारे पास इस तरह के एक महीने में कम से कम 20 से 25 मरीज आते हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स में इस लेकर ज्यादा खतरा नहीं होता और वह इसलिए, क्योंकि वह ज्यादातर समय क्लास के बाहर ही बिताते हैं। वह ज्यादा देर तक बैठते नहीं हैं, जबकि उनकी तुलना में कोचिंग स्टूडेंट्स कई घंटे तक बैठे रहते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि यह परेशानी नौजवानों, ओवर वेट और लंबे समय तक बैठने वालों में पाई जा रही है और इसके शिकार लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हालांकि, सही इलाज लेने से यह समस्या ठीक हो जाती है। लेकिन कहीं न कहीं यह समस्या रीढ़ की हड्डी को कमजोर कर देती है, इसलिए हम अस्पताल आने वाले लोगों को यही सलाह देते हैं कि कभी भी पर्स को पिछली जेब में न रखें।

Related Posts