सोडियम और क्लोरीन का हमारे शरीर में अलग-अलग महत्व है। भोजन के जरिए लिए गए सोडियम को हर कोशिका अलग-अलग कामों में इस्तेमाल करती है। सोडियम का संबंध ब्लड प्रेशर से भी है। ब्लड प्रेशर नियंत्रण में सोडियम का सेवन कम करने से भी मदद मिलती है। सोडियम का सेवन तभी कम हो सकता है, जब नमक का सेवन कम हो। वैसे तो सोडियम क्लोराइड की मौजूदगी कई भोज्य पदार्थों में कुदरती तौर पर होती है, लेकिन ज्यादातर लोग प्राकृतिक नमक पर निर्भर नहीं रहते और ऊपर से नमक लेते हैं। यानी खाना बनाते समय नमक अलग से डाला जाता है और अगर उसमें भी नमक कम लगे तो खाने के साथ अलग से नमक खाया जाता है। इसके अलावा प्रिजर्वेटिव से युक्त भोज्य पदार्थ में भी सोडियम की अतिरिक्त मात्रा पाई जाती है। स्नैक्स, चटपटा भोजन जैसे- अचार, चटनी, पापड़, सॉस जैसी चीजों में भी सोडियम की मात्रा बहुत अधिक होती है। एक चम्मच यानी करीब 6 ग्राम नमक हर दिन शरीर के लिए काफी है। लेकिन अधिकतर लोग इसका दोगुना नमक खाते हैं। आप अपने घर के सदस्यों की संख्या और घर में आने वाले नमक की खपत के आधार पर अपनी रोज की व्यक्तिगत खपत निकाल सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मनुष्य की नमक की रोजमर्रा की खपत एक चम्मच से थोड़ी कम होनी चाहिए यानी 5 ग्राम के आसपास। साथ ही फलों और रेशेयुक्त अनाजों की मात्रा बढ़ानी चाहिए, लेकिन इसका अर्थ डिब्बाबन्द जूस पीना नहीं है। फल खुद काटकर खाने से आप तमाम प्रिजर्वेटिवों से मुक्त रहते हैं। फलों में पोटैशियम होता है जो सोडियम का शारीरिक विरोधी है। आधुनिक आहार में ज्यों-ज्यों हम सोडियमयुक्त भोजन की ओर झुके हैं, त्यों-त्यों हम पोटैशियमयुक्त आहारों से हटे भी हैं। ब्लड प्रेशर के पीछे यह भी एक अहम कारण है। डिब्बाबंद जूस, बेकरी प्रॉडक्ट्स, चटपटा खाना बंद कर दें। नियमित रूप से कसरत करें ताकि आपको डॉक्टर के पास कम से कम जाना पड़े। कोशिश करें कि हर सामान्य व्यक्ति एक चम्मच से कम ही नमक रोजाना खाए। जो रोगी हों, मध्य आयु या वृद्ध हों, बच्चे हों, वे इस मात्रा को और घटा दें। कितनी मात्रा लेनी है, यह अपने डॉक्टर से व्यक्तिगत तौर पर तय करें। फल खाएं, रेशेदार अनाज लें।
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नमक का संबंध है ब्लडप्रेशर से - कई भोज्य पदार्थों में कुदरती तौर पर होता है नमक