अधिग्रहण के लिए जेपी का फंड न मिलने पर एनबीसीसी ने बनाई बैकअप योजना
वित्तीय परेशानियों औक ऋण डूबी जेपी इंफ्राटेक को अधिग्रहण करने के लिए चुनी गई एनबीसीसी ने उसे जयप्रकाश एसोसिएट्स का 750 करोड़ रुपये का फंड न मिलने की स्थिति में बैकअप योजना तैयार की है। जयप्रकाश एसोसिएट्स ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के पास रकम जमा कराई थी और बाद में उसे नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) को ट्रांसफर कर दिया गया था। एनबीसीसी ने अपने रिजॉल्यूशन प्लान में एक शर्त रखी थी कि अगर उसे 750 करोड़ रुपये की रकम ब्याज के साथ नहीं मिलती तो उसके पास इस प्रोसेस से बाहर निकलने का अधिकार होगा। एनबीसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमने बाहर निकलने की शर्त रखी थी, लेकिन अगर एनसीएलटी हमें यह रकम देने से इनकार करती है तो हम अपीलेट अथॉरिटी और सुप्रीम कोर्ट तक भी जाएंगे।' जेपी इंफ्राटेक के क्रेडिटर्स की कमेटी (सीओसी) ने 18 दिसंबर को कंपनी को एक्वायर करने के लिए एनबीसीसी को चुना था।
रिजॉल्यूशन प्लान पर सुनवाई एनबीसीसी में बुधवार को शुरू हुई। एनबीसीसी और होम बायर्स दोनों 750 करोड़ रुपये के फंड पर निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। एनबीसीसी के अधिकारी ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि इससे कंस्ट्रक्शन में देरी नहीं होगी। हालांकि, अगर मामला अपीलेट अथॉरिटी के पास नहीं जाता तो हम होम बायर्स के हितों के लिए जल्द सुनवाई का निवेदन करेंगे।' जेपी इंफ्राटेक के रुके हुए प्रोजेक्ट्स का कंस्ट्रक्शन अगले छह महीनों में शुरू होने की उम्मीद है। कंपनी के इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) की ओर से एनसीएलटी और सुप्रीम कोर्ट को सूचना देने के 45 दिनों के अंदर ट्राइब्यूनल से एनबीसीसी को कंपनी के टेकओवर की अनुमति मिल सकती है। एक होम बायर ने कहा, 'हम मामले का जल्द समाधान चाहते हैं जिससे कंस्ट्रक्शन शुरू हो सके। एनबीसीसी ने एक शर्त रखी है और एनसीएलटी को इस पर फैसला करना होगा।' एनबीसीसी के अधिकारी ने कहा कि स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाने पर कार्य शुरू कर दिया गया है। एनबीसीसी ने फंड जुटाने, कंस्ट्रक्शन के लिए तैयारी करने और अन्य औपचारिकताओं के लिए तीन महीने का समय मांगा है।
रीजनल नार्थ
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