रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में उम्र और समय से पहले मेनॉपॉज आ सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जो महिलाएं 20 महीने तक रात की शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें जल्दी मेनोपॉज का खतरा 9 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। वहीं जो महिलाएं 20 साल से अधिक समय से नाइट शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें जल्दी मेनोपॉज का खतरा 73 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह शोध 80 हजार से अधिक नर्सों पर किया गया है। अध्ययन में उन महिल नर्सों को शामिल किया गया था जो 22 वर्षों से शिफ्ट वर्क में काम कर रही थीं। रात की शिफ्ट में काम करना चाहे मेल हो या फीमेल, दोनों के लिए ही नुकसानदेह होती है। मेमरी लॉस से लेकर हड्डियों तक की कई प्रॉब्लम्स से आपको जूझना पड़ सकता है। लेकिन इन सबके अलावा नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में जल्दी मेनॉपॉज का खतरा भी बढ़ जाता है। एक शोध के अनुसार, रात में दिन के बजाय तनाव वाले हॉर्मोन ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं, जिससे छोटी छोटी चीजों पर तनाव हो सकता है। तनाव की वजह से सेक्स हॉर्मोन ऐस्ट्रोजेन के बनने में बाधा आती है, जो मेनोपॉज के लिए जिम्मेदार हो सकता है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि रात में काम करने वाली महिलाओं में ऑव्यूलेशन कम होता है। अगर आप दिन की शिफ्ट में काम करती हैं, तो आपका मेनॉपॉज 4-5 साल तक बढ़ जाता है। जो महिलाएं शिफ्ट वर्क में रात की शिफ्ट में ज्यादा काम करती हैं उनको ऑस्टियोपोरोसिस और याददाश्त की समस्या होने लगती है। एक नई रिसर्च के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के ब्रेन की परफॉरमेंस पर सर्काडियन प्रभाव (24 घंटों का जैविक चक्र) इतना ज्यादा होता है कि नाइट शिफ्ट पूरी होने के बाद महिलाएं बहुत ज्यादा कमजोर महसूस करने लगती हैं। नींद की कमी की वजह से ध्यान लगाने में परेशानी होती है। गाड़ी को कंट्रोल करने में दिक्कत होती है और मानसिक तनाव मिलता है। विशेषज्ञों की माने तो नींद हमारी बायोलॉजिकल साइकल का एक अहम हिस्सा है और इसकी अनियमितता से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अनियमित नींद और अधूरी नींद के कई कारण हो सकते हैं और नाइट शिफ्ट उन्हीं में से एक है। रिसर्च में यह भी निकलकर आया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए ये ज्यादा नुकसानदेह है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के मस्तिष्क पर पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा बुरा असर पड़ता है।