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 बच्चों को कार्टून देखने से न रोके 

 बच्चों को कार्टून देखने से न रोके 

 बच्चों को कार्टून देखने से न रोके 
  बच्चों को कार्टून देखने से नहीं रोकना चा‎हिए, क्योंकि इससे उन पर कई पॉजिटिव असर पड़ते हैं। दरअसल, बच्चे कार्टून देखते वक्त उसमें पूरी तरह डूब जाते हैं और बाद में कई बार कार्टून कैरेक्टर के डायलॉग्स को दोहराते हैं। दरअसल, कार्टून बच्चों को नए शब्द सीखने का मौका देता है और उनकी वोकेबलरी को रिच बनाता है। यह उन्हें बेहतर तरीके से बात करने के साथ ही पढ़ाई में भी बेहतर परफॉर्म करने में भी मदद करता है। दरअसल, कार्टून को क्रिएटिविटी के आधार पर बनाया जाता है। ऐसे में इसमें जो दिखाई देता है वह कई बार वास्तविकता से दूर होता है। लेकिन घबराने की जगह बच्चों को इसे इंजॉय करने दें क्योंकि यह उनकी क्रिएटिविटी को भी बढ़ाता है जो उनके दिमाग को नए आइडियाज के बारे में सोचने के लिए भी ट्रेन करता है। कई कार्टून प्रोग्राम इस तरह से बनाए जाते हैं जो बच्चों को मॉरल एजुकेशन देने पर फोकस करते हैं। अगर ऐसे कार्टून बच्चों को देखने दिए जाएं तो वे शेयरिंग, हेल्प करने जैसी कई चीजें हंसते-खेलते सीख जाते हैं। वहीं बच्चों को इसे नहीं देखने ‎दिया जाता तो उन्हें शायद दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने में परेशानी होती है। यह स्थिति बिल्कुल वैसी ही जैसे किसी पार्टी में जाने पर आपको कोई ऐसा शख्स न मिले जिसके थॉट्स या रुचि आपसे मिलती हो और यह सिचुएशन आपको वहां अकेला कर दे। बच्चों में भी यह स्थिति आ सकती है। होमवर्क, स्कूल आदि के चक्कर में बच्चों में स्ट्रेस बढ़ने के चांस रहते हैं। कार्टून देखने के दौरान खुश होने और हंसने पर दिमाग में एंड्रोफिन्स रिलीज होते हैं, जो स्ट्रेस को बीट करता है। 

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