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विविधता सहअस्तित्व को स्वीकार करें : भागवत

विविधता सहअस्तित्व को स्वीकार करें : भागवत

विविधता सहअस्तित्व को स्वीकार करें : भागवत
 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रकाश के अभाव और अंधकार के संबंध का उदाहरण देते हुए लोगों से मिलजुल कर रहने और विविधता का सम्मान करने का आह्वान किया। भागवत ने कहा कोई सोच सकता है कि आज का माहौल खराब हो गया है, लेकिन यह एहसास हमारे दिलों में रोशनी की कमी से आता है। 
उन्होंने कहा मतभेदों के बावजूद, सारे मनुष्य एक ही परिवार के सदस्य हैं और यह जुड़ाव स्वार्थ पर नहीं बल्कि निकट पारिवारिक संबंधों पर आधारित है। स्थानीय कॉलेज के एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि हम सभी को समझना चाहिए कि एकता विविधता में छुपी हुई है। भागवत ने कहा हम जो समझे वह यह था कि पूरी दुनिया की उत्पत्ति का स्रोत एक ही है। दुनिया की भाषा में इसे विविधता में एकता कहा जाता है। इसके पीछे की भावना अच्छी है। संघ प्रमुख ने कहा, लेकिन, मुझे लगता है कि इस नारे में कुछ बदलाव करने की ज़रूरत है और इसे ऐसा होना चाहिए ‘एकता की ही विविधता है और इसलिए विविधता में एकता है उसको जानो और सारी विविधता को स्वीकार करो’। 

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