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भाजपा की परंपरागत सीट है मुरैना - 23 साल से इस सीट पर है भाजपा का कब्जा

 भाजपा की परंपरागत सीट है मुरैना  -  23 साल से इस सीट पर है भाजपा  का कब्जा

मुरैना लोकसभा सीट भाजपा की  गढ़ रही है। मध्य प्रदेश में भाजपा के जो मजबूत किले हैं उन्हीं में से एक मुरैना भी है। इस सीट पर भाजपा ‎पिछले 6 चुनावों से जीत हासिल करते आ रही है। जब‎कि सालों से चल रहा कांग्रेस का सुखा अभी तक बरकरार है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत साल 1991 में मिली थी। फिलहाल बीजेपी के अनूप मिश्रा यहां के सांसद हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा हाल ही में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भितरवार सीट से मैदान में उतरे थे। हालांकि उनको हार का सामना करना पड़ा था। 
मुरैना लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई। यहां पर पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रहे आत्मदास ने जीत हासिल की थी। इसके अगले चुनाव में जनसंघ के हुकुमचंद विजयी रही। कांग्रेस का इस सीट पर खाता 1980 में खुला था। तब बाबूलाल सोलंकी ने यहां पर जीत हासिल की। इसके अगले चुनाव में भी यहां पर कांग्रेस को जीत मिली। 1989 में इस सीट पर भाजपा ने पहली बार जीत हासिल की। छविराम भाजपा  की ओर से जीत करने वाले यहां के पहले सांसद बने। हालांकि अगला चुनाव वह हार गए और कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की।1991 के चुनाव में बरेलाल जाटव ने छविराम को हराया। 1996 में बीजेपी ने यहां से अशोक अर्गल को उतारा और वे कांग्रेस के डॉ। प्रीतम प्रसाद चौधरी को हराकर यहां के सांसद बने। 1996 के बाद से यह सीट बीजेपी के ही पास  है। 1967 से 2004 तक यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य वर्ग के लिए हो गई। यहां के राजनीतिक इतिहास को देखें तो इस सीट पर ज्यादातर बीजेपी का ही कब्जा रहा है। यहां पर 7 बार बीजेपी तो 3 बार कांग्रेस को जीत मिली है।   
मुरैना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। माधवपुर, विजयपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह यहां की विधानसभा सीटें हैं। यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि भाजपा के खाते में सिर्फ एक सीट है। 2014 के लोकसभा चुनाव में अनूप मिश्रा ने बसपा के वृन्दावन सिंह सिकरवार को हराया था। इस चुनाव में अनूप मिश्रा को 375567 (43.96 फीसदी)वोट मिले थे तो वहीं वृन्दावन सिंह सिकरवार को 242586(28.4फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 132981 वोटों का था। 
62 साल के अनूप मिश्रा पहली बार इस सीट से जीतकर सांसद बने। सांसद बनने से पहले उन्होंने 2008 - 2013 के दौरान पूर्वी ग्वालियर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2013 के चुनाव में अनूप मिश्रा ने अपना निर्वाचन क्षेत्र को बदल दिया। वे भितरवार सीट से चुनाव हार गए। अनूप मिश्रा को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.0 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 22.85 करोड़ हो गई थी। इसमें से उन्होंने 19.40 यानी मूल आवंटित फंड का 86.23 फीसदी खर्च किया। उनका करीब 3.44 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया। संसद में अनूप मिश्रा की उपस्थिति 46 फीसदी रही। इस दौरान उन्होंने संसद में 6 बहस में हिस्सा लिया। अनूप मिश्रा ने संसद में 274 सवाल भी किए।

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