मोबाइल लती होने का शिकार लगभग हर आदमी हो रहा है और समाज के लिए यह चिंता का विषय भी है। बावजूद इसके भारत में आज भी लगभग आधी जनता यानी 50 प्रतिशत लोग अपने दोस्तों और परिवार को समय देने के लिए मोबाइल को दिए जाने वाले समय में कटौती करना चाहते हैं। यह निष्कर्ष एक अध्ययन से सामने आया है। एक शोध कंपनी द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, सर्वे में शामिल एक-तिहाई भागीदारों ने भारत में पिछले 2 सालों में काम के दौरान मोबाइल को ज्यादा वक्त दिया, जिनमें 38 फीसदी ने इसके लिए प्रौद्योगिकी को जिम्मेदार माना। अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर के लोगों में निजी और पेशेवर जिंदगी के साथ-साथ वास्तविक और आभासी संवाद बढ़ रहा है। अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग के भारत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज अदलखा ने कहा, ‘सर्वेक्षण ‘लिव लाइफ’ कामकाजी जीवन संतुलन से कामकाजी जीवन एकीकरण में रूपांतरण को रेखांकित करता है।’ शोध में आठ बाजारों- भारत, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हॉन्ग कॉन्ग, जापान, मेक्सिको, ब्रिटेन और अमेरिका में शोध किए। कंपनी ने भारत में 7-14 मार्च, 2018 को ऑनलाइन सर्वेक्षण के जरिए लगभग 2 हजार लोगों से सवाल जवाब किए। शोध में खुलासा हुआ कि दैनिक जीवन में मोबाइल फ्री टाइम बढ़ाने के पक्ष में अधिक आयु वालों से ज्यादा कम आयु के लोग थे।