दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का खासा प्रभाव है और वे यहां की शिवगंगा संसदीय क्षेत्र का लंबे समय तक प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। यह एक वीआईपी सीट है। चिदंबरम यहां से सात बार सांसद रह चुके हैं। पिछले चुनाव में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पिता की कामयाबी को नहीं दोहरा पाए और चुनाव हार गए। इस बार कार्ति पर चुनाव जीतकर अपने पिता का किला फिर जीतने की चुनौती होगी। शिवगंगा सीट 1967 में अस्तित्व में आई। पहले दो चुनाव (1967-1971) में यहां से द्रमुक जीती। इसके बाद 1977 में अन्नाद्रमुक का कब्जा हो गया। कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार 1980 में आर स्वामीनाथन ने जीत दिलाई। इसके बाद 1984 से 2009 तक पी चिदंबरम ने यहां से जीत दर्ज की, सिर्फ 1999 को छोड़कर। इस दौरान चिदंबरम ने पांच बार कांग्रेस से और दो बार अपनी पार्टी तमिल मनीला कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीता। हालांकि 2009 में चिदंबरम की जीत पर विवाद भी हुआ। दरअसल वोटों की 21 राउंड हुई गिनती में आरएस राजा जीत चुके थे। पर कांग्रेस की आपत्ति के बाद वोटों की गिनती दोबारा कराई गई और चिदंबरम के मामूली अंतर से जीत का ऐलान हुआ।
चिदंबरम की जगह 2014 में कार्ति ने लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन वह चौथे स्थान पर रहे। हालांकि उस समय कांग्रेस का द्रमुक से गठबंधन नहीं था। लेकिन 2019 के चुनाव में द्रमुक के साथ गठबंधन होने से कार्ति की राह आसान हो सकती है। हालांकि भाजपा और अन्नाद्रमुक के गठबंधन से कार्ति को काफी मुश्किलें भी आएंगी। इस सीट पर भाजपा एच राजा को मैदान में उतार सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में एच राजा तीसरे स्थान पर रहे थे। कार्ति के साथ ही उनकी पत्नी श्रीनिधि चिदंबरम भी परदे के पीछे से तमिलनाडु की शिवगंगा सीट की कमान संभालेंगी। श्रीनिधि सोशल मीडिया में प्रचार का काम देखेंगी। वह पेशे से डॉक्टर हैं। एयरसेल मैक्सिम मामले में फंसे कार्ति इन दिनों ईडी की जांच में फंसे हैं। हाल ही में एक रैली में पहली बार श्रीनिधि ने जनता को संबोधित किया। हालांकि इस रैली में कार्ति भी मौजूद थे।
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पिता चिदंबरम की सीट को फतह करने की चुनौती होगी कार्ति पर