साइकिल चलाए और जवान बन रहे
-एक ताजा अध्ययन में हुआ खुलासा
एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि साइकिल चलाने वाले पुरुषों में उम्र का असर नहीं दिखाई देता है। उनके शरीर में पुरुष हारमोन टेस्टोस्टरोन का उत्पादन भी लगातार जारी रहता है, जिससे उन पर उम्र का प्रभाव नहीं पड़ता। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम और किंग्स कॉलेज लंदन में हुए शोध में कहा गया है कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा बेहतर होती है। साइकिल चलाने वाले पुरुषों में पुरुष हॉर्मोन के कम होने की आशंका कम होती है। जीवनभर साइकिल चलाने वाले पुरुषों का टेस्टोस्टेरोन स्तर युवाओं के बराबर होता है। टेस्टोस्टेरोन के गिरते स्तर को विशेषज्ञों ने पुरुषों की रजोनिवृत्ति करार दिया है। प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जेनेट लॉर्ड ने कहा कि साइकिल चलाने से इन पुरुषों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर दिखी। लिहाजा इन्हें मौसमी संक्रमण का खतरा भी कम था। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, इम्पीरियल कॉलेज लंदन और यूएन इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के एक अध्ययन में कहा गया है कि चार घंटे से अधिक समय तक टीवी देखने वाले पुरुषों को आंतों का कैंसर होने की आशंका अधिक होती है। पांच लाख से अधिक ब्रिटिश लोगों का छह साल तक अध्ययन करने के बाद विशेषज्ञों ने यह निष्कर्ष निकाला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे पुरुषों को आंतों का कैंसर होने की आशंका 35 फीसदी तक अधिक रहती है। हालांकि अधिक टीवी देखने वाली महिलाओं में आंतों का कैंसर होने की आशंका 11 फीसदी अधिक रहती है। विशेषज्ञों को कंप्यूटर स्क्रीन पर अधिक समय बिताने और आंतों के कैंसर के बीच कोई संबंध देखने को नहीं मिला। इस अध्ययन के लिए 55 से 79 साल के नियमित साइकिल चलाने वाले पुरुषों के आंकड़ों का अध्ययन किया। विशेषज्ञों ने देखा कि इन पुरुषों की मांसपेशियां और शरीर में वसा का स्तर 20 साल के किशोरों के बराबर था। छह घंटे में 100 किलोमीटर साइकिल चलाने वाले पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर भी युवाओं जैसा ही था।
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साइकिल चलाए और जवान बन रहे -एक ताजा अध्ययन में हुआ खुलासा