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सर्वाइकल कैंसर से बचने एचपीवी का टीका उपलब्ध  -रोगियों के लिए अहम साबित होगा स्वदेशी टीका

सर्वाइकल कैंसर से बचने एचपीवी का टीका उपलब्ध  -रोगियों के लिए अहम साबित होगा स्वदेशी टीका

सर्वाइकल कैंसर से बचने एचपीवी का टीका उपलब्ध 
-रोगियों के लिए अहम साबित होगा स्वदेशी टीका

देश की महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो रहे सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए टीका विकसित करने का दावा विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है। इस टीके को नाम दिया है एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस)। पुणे स्थित सीरम संस्थान ने स्वदेशी टीका विकसित कर लिया है। अगले दो-तीन वर्ष में यह टीका उपलब्ध हो जाएगा। जो देश में सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने में अहम साबित होगा। यह बातें विश्व कैंसर दिवस पर हार्वर्ड टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा आयोजित वेबिनार में एम्स के गायनोकॉलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. नीरजा भाटला ने कही। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में दुनिया भर में 5,69,841 महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हुईं। इसमें से 96,922 (करीब पांचवां हिस्सा) महिलाएं भारत में थीं। इसी तरह दुनिया भर में 3,11,365 महिलाओं की मौत हुई। वहीं, भारत में इस बीमारी से 60,063 महिलाओं की मौत हुई। भारत में 80 फीसद महिलाएं एचपीवी वायरस के स्ट्रेन 16 व 18 के संक्रमण से सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित होती हैं। इसका टीका 98 फीसद तक असरदार है। इसलिए नौ से 14 साल की उम्र की लड़कियों को दो डोज टीका सुनिश्चित हो तो हर साल 50 हजार महिलाओं की जिंदगी बचाई जा सकती है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी वर्ष 2030 तक इसे खत्म करने का लक्ष्य दिया है। एचपीवी वायरस का टीका शादी से पहले लगना जरूरी है। किशोरावस्था में सभी लड़कियों को टीका लगे तो यह तीन गुना असरदार होगा। वैसे 15 से 18 वर्ष तक की उम्र की लड़कियां भी दो डोज टीका ले सकती हैं। टीकाकरण के बाद भी 35 साल की उम्र के बाद सभी महिलाओं को स्क्रीनिंग कराना जरूरी है। सीरम संस्थान द्वारा विकसित स्वदेशी टीके के दूसरे फेज के क्लीनिकल परीक्षण का परिणाम बेहतर रहा है। तीसरे चरण का ट्रायल जल्द शुरू होने वाला है। विदेश में निर्मित एक डोज टीके का खर्च पांच डॉलर है। अगले साल तक सर्वाइकल कैंसर का टीका राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है। स्वदेशी टीका उपलब्ध होने पर कीमत भी कम हो जाएगी। कैंसर के ट्यूमर विकसित होने पर शुरुआत में पता नहीं चलता। सर्वाइकल कैंसर में भी बीमारी थोड़ी बढ़ने पर दर्द, रेडनेस व सूजन होती है। लेकिन, 35 साल के बाद लक्षण का इंतजार न करें। टीका लगने के बावजूद स्क्रीनिंग कराना जरूरी है। बताया जा रहा है कि दिल्ली, पंजाब व सिक्किम में इसका टीकाकरण शुरू भी हुआ है लेकिन, विदेश में निर्मित टीका महंगा होने के कारण इसे अब तक राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं किया जा सका है। 

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