आयुर्वेदिक दवाएं डायलिसिस से मुक्ति दिलाने में सक्षम
-दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से गुर्दे हो सकते हैं स्वस्थ
गुर्दा खराब होने की स्थिति में मरीजों को डायलिसिस पर रहना पड़ता है, जो कि एक तकलीफदेह प्रक्रिया है। आयुर्वेद में ऐसी कुछ दवाएं हैं, जो गुर्दे के मरीजों को डायलिसिस से मुक्ति दिलाने में पूरी तरह सक्षम हैं। इन दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल गुर्दे को पूरी तरह स्वस्थ कर सकता है। आयुर्वेदिक दवाई नीरी केएफटी का निर्माण गोखरू, वरुण, पत्थरपूरा, पाषाणभेद तथा पुनर्नवा से किया गया है। पुनर्नवा गुर्दे की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को फिर से पुनर्जीवित करने में कारगर होता है। इसलिए आजकल इस आयुर्वेदिक फार्मूले का इस्तेमाल बढ़ रहा है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विभाग ने भी नीरी केएफटी के आयुर्वेदिक फार्मूले के प्रभाव का गहन अध्ययन किया है। उसके अनुसार नीरी केएफटी के इस्तेमाल से गुर्दा रोगियों में भारी तत्वों, मैटाबोलिक बाई प्रोडक्ट जैसे केटेनिन, यूरिया, प्रोटीन की मात्रा तेजी से नियंत्रित हो रही है। इस दवा का इस्तेमाल से गुर्दे की कार्यप्रणाली में तेजी से सुधार देखा गया है। जो गुर्दे कम क्षतिग्रस्त थे, उनमें सुधार की गति बहुत तेज देखी गई है। प्रोफेसर के. एन. द्विवेद्वी ने कहा आयुर्वेद के फार्मूले गुर्दे की डायलिसिस का विकल्प हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2025 तक भारत समेत विश्व में 18 फीसदी पुरुष और 21 फीसदी महिलाएं मोटापे की चपेट में होंगी। उन्हें तब सबसे ज्यादा खतरा गुर्दा रोगों का होगा। इसलिए जीवनशैली में सुधार कर लोगों को इन खतरों से बचना होगा। गुर्दे की बीमारियों से बचाव के लिए डब्ल्यूएचओ ने भी वैकल्पिक उपचार और खराब हो चुके गुर्दा रोगियों को बचाने के लिए गुर्दा दान को बढ़ावा देने की पैरवी की है।इस बीच पांडिचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने भी एक शोध में दावा किया है कि यदि गुर्दे की सेहत बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक फार्मूलों का इस्तेमाल किया जाए तो काफी हद तक डायलिसिस से बचा जा सकता है।
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आयुर्वेदिक दवाएं डायलिसिस से मुक्ति दिलाने में सक्षम -दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से गुर्दे हो सकते हैं स्वस्थ