पांच तरीके की डायबिटीज होने का दावा
-इनका इलाज भी होना चाहिए अलग-अलग
विशेषज्ञों की माने तो डायबिटीज पांच अलग-अलग तरह की होती है। अभी तक आपने दो तरह की डायबिटीज के बारे में ही सुना होगा। इस नए दावे के साथ विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी का इलाज भी अलग-अलग होना चाहिए। इससे मधुमेह के उपचार का तरीका बदल सकता है। शोध में विशेषज्ञों ने पांच तरह के डायबिटीज की पहचान की है। इस अध्ययन के बाद डायबिटीज के इलाज में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में सात करोड़ से अधिक डायबिटीज के मरीज हैं। दशकों से डायबिटीज के दो प्रकार टाइप 1 और टाइप 2 की ही जानकारी रही है। टाइप 1 डायबिटीज प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित बीमारी है, जिसमें शरीर में इनसुलिन बनना बंद हो जाता है। टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इनसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप 1 डायबिटीज को प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। टाइप 2 डायबिटीज को चार श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए। इसमें दो गंभीर और दो साधारण डायबिटीज की श्रेणी में बांटा जाना चाहिए।इनमें से पहली श्रेणी में गंभीर रूप कम इनसुलिन वाली डायबिटीज, इसमें हाई ब्लड शुगर के मरीजों, कम इनसुलिन उत्पादन वाले और सामान्य रूप से इनसुलिन के प्रति प्रतिरोधी वाले मरीजों को रखा जाना चाहिए। दूसरे गंभीर इनसुलिन के प्रति प्रतिरोधी डायबिटीज का संबंध मोटापे से है। हल्के मोटापे से संबंधित डायबिटीज में मोटापे के शिकार लोगों को रखा जा सकता है। हालांकि यह कम गंभीर बीमारी है और इसमें ऐसे लोगों को रखा जा सकता है,जो कम उम्र में इसका शिकार हो जाते हैं।अंतिम समूह में उम्र से संबंधित हल्की डायबिटीज को रखा जा सकता है। हालांकि यह सबसे बड़ा समूह होगा,जिसमें डायबिटीज के 40 फीसदी मरीज होंगे और ज्यादातर उम्रदराज होंगे। यूके की डॉक्टर एमिली बर्न्स ने कहा कि इस की अन्य उप श्रेणियों की मदद से विशेषज्ञ मरीज की परिस्थिति के हिसाब इलाज कर सकेंगे। यह शोध टाइप 2 डायबिटीज को और श्रेणियों में बांटता है और बीमारी के बारे में अधिक समझ विकसित करता है। स्वीडन के ल्युंड यूनिवर्सिटी डायबटीज सेंटर और फ़िनलैंड के इंस्टिट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 14,775 मधुमेह के मरीजों के खून की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। इसमें बताया गया है कि मधुमेह के मरीज को पांच अलग-अलग क्लस्टर में बांटा जा सकता है। प्रमुख शोधकर्ता लीफ ग्रूप ने बताया कि यह मरीज केंद्रित इलाज शुरू करने की ओर पहला कदम हो सकता है। डायबिटीज की मौजूदा श्रेणी और लक्षण व इलाज भविष्य में होने वाली समस्याओं के बारे में नहीं बताती है।
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पांच तरीके की डायबिटीज होने का दावा -इनका इलाज भी होना चाहिए अलग-अलग