मोबाइल, टैब पर ज्यादा समय बिताने पर बच्चों की दूर की नजर कमजोर होती जा रही
मोबाइल, टैबलेट और लैपटॉप पर ज्यादा से ज्यादा समय बिताने और आउटडोर गेम्स नहीं खेलने से बच्चों की दूर की नजर कमजोर होती जा रही है। यह कहना है राजधानी के डॉक्टरों का। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने चेताया है कि इन इलेक्ट्रॉनिक गैजट्स को लगातार नजदीक से देखने के कारण आंखों पर जोर पड़ता है, जिससे आंखों की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। नेत्र विज्ञान केंद्र में प्रोफेसर रोहित सक्सेना ने बताया कि इन दिनों बच्चे टैब, मोबाइल और लैपटॉप पर अपना 30 से 40 फीसदी समय बिताते हैं। इससे उनकी आंखें नजदीक की चीजें देखने की आदी हो रही हैं, जबकि दूर की नजर कमजोर हो रही है। डॉक्टरों ने आशंका जताई कि घरों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बढ़ती पैठ से भविष्य में यह समस्या और विकराल हो सकती है। प्रोफेसर सक्सेना ने बताया बचपन में ही दूर की नजर कमजोर होने या चश्मा लगने का हानिकारक प्रभाव यह है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे चश्मे का नम्बर बढ़ता है। हमारा मानना है कि अब से 20 साल पहले जिन बच्चों की दूर की नजर कमजोर थी, अब वे बड़े हो गए हैं। अगर उनके चश्मे का नंबर माइनस 10 या 12 हो गया है तो उनकी आंखों की रोशनी जाने का खतरा है।डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों को रोजाना कम से कम 1 घंटा घर से बाहर बिताना चाहिए। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दूर की नजर खराब होने का खतरा 20 प्रतिशत तक कम हो जाता है। बच्चों को टीवी, मोबाइल आदि पर दिन में 1-2 घंटे से ज्यादा वक्त नहीं बिताना चाहिए। जितना ज्यादा समय इन पर बिताया जाएगा, चश्मा लगने का खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा। नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक अंधेरे में मोबाइल चलाने से न केवल दूर देखने की क्षमता पर असर पड़ता है, बल्कि पूरी दृष्टि के ही प्रभावित होने का खतरा होता है। कई लोगों में एक आंख की रोशनी जाने की समस्या सामने आई है। ये लोग लेटकर इस तरह मोबाइल देखते थे कि उनकी एक आंख बंद हो जाती थी।