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युवा बेहतर विजन और स्वाभिमान के साथ आगे आकर देश का मान बढ़ाएं : उपराष्ट्रपति नायडू 

युवा बेहतर विजन और स्वाभिमान के साथ आगे आकर देश का मान बढ़ाएं : उपराष्ट्रपति नायडू 

युवा बेहतर विजन और स्वाभिमान के साथ आगे आकर देश का मान बढ़ाएं : उपराष्ट्रपति नायडू 
 उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि युवा बेहतर विजन और स्वाभिमान के साथ आगे आकर देश का मान बढ़ाएं। उपराष्ट्रपति अपने दो दिवसीय झारखंड दौरे पर रविवार को रांची पहुंचे। यहां उन्होंने आईआईएम रांची के द्वारा आयोजित अटल बिहारी वाजपेयी सेंटर फॉर लीडरशिप, पॉलिसी एंड गवर्नेंस के तहत नेतृत्व क्षमता और सुशासन विषय पर छात्रों को संबोधित किया। आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि परेशानियों को हमेशा उन्होंने चुनौतियों के रूप में स्वीकार किया। आईआईएम के छात्रों को संबोधित करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि युवा बेहतर विजन, अपने स्वाभिमान के साथ आगे आएं और देश का मान बढ़ाएं। एक लीडर में और नेतृत्व करने वालों में चरित्र, समर्पण, आचरण और क्षमता का होना बेहद जरूरी है। तभी नेतृत्व करने वाला अपनी जिम्मेदारियों के साथ सकारात्मक परिणाम समाज और देश को दे सकता है। इस अवसर पर लीडरशिप पॉलिसी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि लीडर का यह मतलब नहीं कि वह राजनीति से ही जुड़ा हो। लीडर किसी भी क्षेत्र का हो सकता है। एक लीडर में जाति, समुदाय, नकदी और आपराधिकता से मतलब नहीं होनी चाहिए। वे इन सब चीजों को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश करते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौटिल्य ने कहा था कि शासन करने वाला जिम्मेदार होगा, तो ही सुशासन होगा। शासक को जनता का सेवक होना चाहिए। कानून का पालन हो, पारदर्शिता हो, जिम्मेदारी हो, प्रभावशाली व्यवस्था हो और भ्रष्टाचार न हो। तभी सुशासन परिलक्षित होगा। लोगों की सेवा के भाव का विस्तारीकरण भी अहम है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकास कार्यों में जनभागीदारी होना चाहिए। देश की जनता में यह विश्वास होना जरूरी है कि देश के विकास में वे योगदान कर रहे हैं। साथ ही देश की जनता को लोकतंत्र पर विश्वास रखना चाहिए। कानून का उल्लंघन और संविधान का अनुसरण नहीं करना, अशांति लाता है, जो विकास में बाधक बनते हैं। विकास के लिए शांति पहली शर्त है। उपराष्ट्रपति ने युवाओं को इंगित कर कहा कि भारत विश्वगुरु था। पूरी दुनिया के लोग यहां ज्ञान अर्जित करने आते थे। यहां की आबो हवा अद्भुत है। आज भी यहां के युवा हर क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में हम आगे निकल चुके हैं। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति से आईआईएम के छात्रों ने प्रश्न भी पूछे। छात्र नमन ने पूछा कि आपके जीवन में जब परेशानियां आईं, उसका आपने सामना कैसे किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी परेशानियों को मैंने चुनौती के रूप में स्वीकार किया। 45 साल से जनता की सेवा में जुटा हूं। लोगों से मिलना, उनसे बात करना, मुझे अच्छा लगता है। उपराष्ट्रपति सोमवार को जमशेदपुर के टाटा ऑडिटोरियम में डाक टिकट का विमोचन करेंगे। जमशेदपुर शहर के नामकरण के सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर यह डाक टिकट जारी हो रहा है।

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