आरोग्य निधि से कृत्रिम जबड़े लगवाए
दुर्घटना की वजह से या फिर किसी बीमारी की वजह से जबड़ा खराब होने से परेशान आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना वरदान साबित हो रही है। एम्स के दंत चिकित्सा केंद्र में कृत्रिम जबड़ा लगवाने वाले 90 फीसदी मरीजों को राष्ट्रीय आरोग्य निधि से आर्थिक मदद मिली है। एम्स में डॉक्टरों ने 60 मरीजों को कृत्रिम जबड़ा लगाया है। कृत्रिम जबड़ा महंगा होने के कारण इसका खर्च वहन करना मरीजों के लिए आसान नहीं है। दूसरे अस्पतालों के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने के लिए एम्स के टेंडल सेंटर ने सोमवार से तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू की। इसमें देशभर के 50 डॉक्टर हिस्सा ले रहे हैं। एम्स के ओरल एंड मैक्सिलोफेसियल सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय रॉय चौधरी ने बताया कि कई बार चेहर पर चोट लगने पर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। बच्चों के साथ यह समस्या ज्यादा होती है और उनका जबड़ा टेढ़ा होने लगता है। इससे मुंह ठीक से नहीं खुल पाता और खाने पीने व बोलने में परेशानी होती है। गठिया की बीमारी के कारण भी जबड़े खराब होने के मामले देखे जाते हैं। पहले कृत्रिम जबड़ा उपलब्ध नहीं था इसलिए सर्जरी के बाद भी मरीज के चेहरे की विकृति पूरी तरह ठीक नहीं होती थी। अब कृत्रिम जबड़ा उपलब्ध है। इस तकनीक में पहले 3डी मॉडल तैयार कर सर्जरी की योजना बनाई जाती है और फिर सर्जरी की जाती है।
आरोग्य
आरोग्य निधि से कृत्रिम जबड़े लगवाए