पहले बच्चे के जन्म के बाद पिता भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन में चले जाते हैं। यह खुलासा हुआ है ताजा शोध में। आजकल पहले बच्चे के जन्म के बाद नई मांएं जिस समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित हो रही हैं उसका नाम है पोस्टपार्टम डिप्रेशन।हालिया शोध के मुताबिक कम से कम 80 प्रतिशत महिलाओं में प्रसव के बाद डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं। ऐसा माना जाता है कि डिलिवरी के बाद डिप्रेशन के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोन्स में बदलाव और अकेलेपन की भावना जिम्मेदार है। अधिकांश मामलों में यह कुछ समय तक रहने वाला अस्थायी बदलाव है, जबकि कुछ में यह लंबे समय तक रहता है। पहले ऐसा माना जाता था कि सिर्फ नई मांएं ही डिप्रेशन का शिकार होती हैं लेकिन हाल ही में हुई एक नई स्टडी के मुताबिक बहुत से ऐसे पुरुष भी हैं जो पहली बार पिता बनने पर पीपीडी यानी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इस स्टडी में नए पिताओं के अनुभवों का गहन रूप से अध्ययन किया गया है। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो जानकारी की कमी और इसे एक धब्बे की तरह देखने की वजह से बहुत से पिता खुद को अपने बच्चे से दूर कर लेते हैं और फिर इसे शादी में आ रही समस्याओं के तौर पर भी देखा जाता है। इससे पहले हुई स्टडी और रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि शिशु के पालन-पोषण में पिता की भागीदारी बच्चे पर सकारात्मक असर डालती है। अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन डेटा के मुताबिक करीब 5 से 10 प्रतिशत नए पिता ऐसे हैं जो बच्चे के जन्म के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इतना ही नहीं वैसे पुरुष जिनकी पार्टनर पीपीडी से पीड़ित हों उनमें तो पीपीडी होने का खतरा 24 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।