सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष भारत के पहले लोकपाल बन गए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने घोष की नियुक्ति को हरी झंडी दिखा दी है. लोकपाल की चयन समिति ने लोकपाल अध्यक्ष और आठ सदस्यों के नाम तय कर लिए थे। आठ सदस्यों में चार हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश और चार पूर्व नौकरशाह हैं।
जस्टिस घोष फिलहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं।
लोकपाल कानून के तहत इसकी जांच के दायरे में प्रधानमंत्री भी आएंगे। लोकपाल सीबीआइ समेत सभी जांच एजेंसियों को निर्देश दे सकता है। केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यों की चयन समिति की बैठक विगत शुक्रवार यानी 15 मार्च को हुई थी जिसमें लोकपाल और उसके चार न्यायिक व चार गैर न्यायिक कुल आठ सदस्यों का चयन किया गया। पीएम समेत इस चयन समिति में कुल पांच सदस्य हैं। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, नेता विपक्ष और जानेमाने कानूनविद मुकुल रोहतगी सदस्य हैं। चूंकि अभी नेता विपक्ष का पद पर कोई नहीं है, इसलिए सरकार ने लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को इस समिति में विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाया था।
हालांकि शुक्रवार को हुई चयन समिति की बैठक में खड़गे ने भाग नहीं लिया था। खड़गे को नेता विपक्ष के बजाए स्पेशल इनवाइटी के तौर पर बैठक में आमंत्रित किये जाने पर एतराज था। बैठक में लोकपाल के अध्यक्ष पद के लिए 66 वर्षीय घोष को सर्वसम्मिति से चुना गया । लोकपाल अधिनियम को 16 जनवरी, 2014 को अधिसूचित किए जाने के करीब पांच साल बाद जस्टिस घोष को देश का पहला लोकपाल बनाया गया है। लोकपाल के वेतन-भत्ते देश के मुख्य न्यायाधीश के वेतन-भत्ते जितने होते हैं और सदस्यों का वेतन सुप्रीम के जज के वेतन जितना होता है। लोकपाल में अध्यक्ष और सदस्यों का पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु होने तक का कार्यकाल होगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने गत सात मार्च को अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा था कि वह दस दिन के भीतर बताएं कि लोकपाल की नियुक्ति के लिए नामों का चयन करने वाली चयन समिति की बैठक कब होगी।
कानून के मुताबिक लोकपाल अध्यक्ष पद के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश या पूर्व मुख्य न्यायाधीश अथवा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश या पूर्व न्यायाधीश का ही चयन हो सकता है। इसके अलावा कोई प्रसिद्ध शख्सियत भी लोकपाल नियुक्त हो सकती है अगर उसे 25 वर्ष तक एंटी करप्शन पालिसी या पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन या सतर्कता या वित्त बीमा बैंकिंग कानून अथवा प्रबंधन का अनुभव हो। सूत्र बताते हैं किसी भी पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अध्यक्ष पद के लिए आवेदन नहीं किया।
अध्यक्ष पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के मात्र दो पूर्व न्यायाधीशों जस्टिस प्रफुल्ल चंद्र पंत (पीसी पंत) और जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष (पीसी घोष) ने आवेदन किया था। सर्च कमेटी ने इन्हीं दोनों न्यायाधीशों के नाम चयन समिति को भेजे थे। चयन समिति ने इसके अलावा हाईकोर्ट के चार सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीशों का चयन न्यायिक सदस्य के तौर पर किया। साथ ही चार गैर न्यायिक सदस्यों में वर्तमान और सेवानिवृत आइपीएस, आइएएस व आइआरएस अधिकारी शामिल हैं।
जस्टिस घोष का परिचय
1952 में जन्मे जस्टिस पीसी घोष (पिनाकी चंद्र घोष) पूर्व जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं। 1997 में वे कलकत्ता हाईकोर्ट में जज बने। दिसंबर 2012 में वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 8 मार्च 2013 में वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश प्रोन्नत हुए और 27 मई 2017 को वह सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए।
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पिनाकी चंद्र घोष बने भारत के पहले लोकपाल