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गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने जीता बहुमत, पक्ष में पड़े 20 वोट 21 विधायकों के समर्थन का किया था दावा

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने जीता बहुमत, पक्ष में पड़े 20 वोट 21 विधायकों के समर्थन का किया था दावा

 गोवा की भाजपा की प्रमोद सावंत की सरकार ने विधानसभा में बहुमत जीत लिया है। बुधवार को हुए मतदान में सावंत सरकार के पक्ष में 20 वोट पड़े। राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। बता दें कि लंबी राजनीतिक खींचतान के बाद मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष प्रमोद सावंत ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। जबकि राज्य में पहली बार दो उप मुख्यमंत्रियों-जीएफपी प्रमुख विजय सरदेसाई तथा एमजीपी विधायक सुदिन धावलिकर को भी शपथ ली। 
भाजपा नीत प्रमोद सांवत सरकार ने 21 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था, हालांकि शक्ति परीक्षण के दौरान एक वोट उन्हें कम मिला। इसमें भाजपा के 12 तथा सहयोगी दल गोवा फारवर्ड पार्टी (जीएफपी) एवं महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के तीन-तीन तथा तीन निर्दलीय विधायक शामिल थे। गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा की वास्तविक संख्या घटकर 36 रह गई है। क्योंकि मनोहर पर्रीकर एवं भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया तथा कांग्रेस के दो विधायक सुभाष शिरोडकर एवं दयानंद सोप्ते ने त्यागपत्र दे दिया था। गोवा में कांग्रेस 14 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि राकांपा का भी एक विधायक है। पूर्व सीएम मनोहर पर्रीकर के निधन के बाद सावंत (45 वर्ष) को सोमवार काफी देर रात में 11 मंत्रियों के साथ शपथ दिलवाई गई थी। उन्होंने पार्रिकर का स्थान लिया है जिनका अग्नाशय कैंसर के कारण रविवार को निधन हो गया था। सावंत आयुर्वेदिक चिकित्सक और आरएसएस के समर्पित कार्यकर्त्ता हैं। नई सरकार में जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है, वे पार्रिकर मंत्रिमंडल में भी शामिल थे।जिन मंत्रियों को शपथ ली उनमें मौविन गोडिन्हो, विश्वजीत राणे, मिलिंद नाइक एवं नीलेश कबराल (सभी भाजपा), पालेकर एवं जयेश सालगांवकर (दोनों जीपीएफ), मनोहर अजगांवकर (एमजीपी) तथा निर्दलीय रोहन खुंटे एवं गोविंद गवाड़े शामिल हैं। 
उल्लेखनीय पार्रिकर के निधन के बाद राज्य में सत्ता भाजपा के पास ही बरकरार रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पर्दे के पीछे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे जुड़े घटनाक्रमों से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। राज्य विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव के बाद भी जब भाजपा को बहुमत नहीं मिला था तो गडकरी यहां आए थे। उन्होंने छोटे दलों से बातचीत कर उन्हें मनाया और समर्थन देने के लिए राजी करवाया। इसके बाद ही पार्रिकर के नेतृत्व में भाजपा नीत गठबंधन सरकार बनी थी।

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