दंगों में गोली से ज्यादा घातक साबित हुई गुलेल
उत्तर-पूर्वी जिले के कई इलाकों में भड़की हिंसा के दौरान गोली-बम से ज्यादा घातक गुलेल साबित हुई है। यह कोई आम गुलेल नहीं थीं। ये गुलेल सैकड़ों की संख्या में मिली हैं। हिंसा की जांच कर रही दिल्ली पुलिस अपराध शाखा की एसआईटी को 10-15 घरों के बाद किसी न किसी एक घर की ऊंची छत पर गुलेल मिली है। मुस्तफाबाद, मौजपुर, करावल नगर, शिव विहार, कर्दमपुरी, सीलमपुर, ब्रह्मपुरी, भजनपुरा आदि इलाकों में सोमवार से फैली हिंसा की जांच शुक्रवार को शुरू हुई। एसआईटी में शामिल एक सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी का कहना कि एक टीम के कुछ पुलिस अफसर ताहिर हुसैन की भूमिका और आईबी के सुरक्षा सहायक अंकित शर्मा की मौत की जांच कर रही है। दूसरी टीम गोकुलपुरी सब-डिवीजन के एसीपी के रीडर हवलदार रतन लाल की मौत की जांच कर रही है। कुछ अन्य टीमें दूसरे इलाकों में फैले दंगे की जांच में जुटी हुई हैं। अपराध शाखा की टीम में शामिल एक सहायक पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी का कहना कि ओल्ड मुस्तफाबाद में छतों पर सबसे ज्यादा गुलेलों की बरामदगी हुई। इन्हीं गुलेलों के जरिए 24 और 25 फरवरी को हुए दंगों में तबाही मचाई गई थी।
रीजनल नार्थ
दंगों में गोली से ज्यादा घातक साबित हुई गुलेल