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गिलोय  --अमृत तुल्य रसायन 

गिलोय  --अमृत तुल्य रसायन 

गिलोय  --अमृत तुल्य रसायन 
ततो येषु  प्रदेशेषु कापिगात्रता परिचुयतः .
पीयूषबिन्दवः पितुस्तेभ्यो जाता गुडूचिका.(भाव प्रकाश )
बहुवर्षायु तथा अमृततुल्य गुणकारी रसायन होने से इसका नाम अमृता हैं. संस्कृत में गुडुची ,मधुपर्णी ,,अमृता ,छिन्नरुहा ,वत्सादनी,तंत्रिका  हिंदी में गिलोय बंगाली में गुलश्च ,मराठी में गुलबेल ,गुजराती में गलो,
इसमें स्टार्च ,बर्बेरिन तथा टिकट सत्व होता हैं .
गिलोय की तासीर प्राकृतिक रूप से गर्म होती है। इसलिए ठंड से संबंधित बीमारियों से बचने में इसका उपयोग अधिक किया जाता है। गिलोय लगभग सभी तरह के ज्वर यानी फीवर और सर्दी-जुकाम में लाभदायक होता है। खासतौर पर डेंगू में घटती प्लेटलेट्स को कंट्रोल करने का काम गिलोय बहुत जल्दी करता है।
एक स्वस्थ व्यक्ति यदि सही तरीके से गिलोय का सेवन करे तो उसे किसी भी तरह का रोग होने की संभावना नगण्य हो जाती है। गिलोय को गुडुची नाम से भी जाना जाता है। यह एक बेल होती है, जिस पर पान जैसी आकर  का गहरा  ग्रीन पत्ता आता है। यह डेंगू फीवर का एक बेजोड़ इलाज है और रोगी को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। बुखार उतारने से लेकर हड्डियों का दर्द दूर करने तक यह एक पौधा कई गंभीर बीमारियों से बचाता है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है और सदियों से इसका उपयोग रोगों के निदान में किया जा रहा है...
गिलोय की खूबियां
गिलोय में ऐंटिऑक्सीडेंट्स, ऐंटिइंफ्लामेट्री प्रॉपर्टीज होती हैं। इसमें ग्लूकोसाइड, फास्फोरस, कॉपर, कैल्शियम, जिंक और मैग्निशियम जैसे मिनरल्स भी होते हैं। जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं और रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं।
जीवन रक्षक गिलोय
डेंगू में सबसे अधिक फायदेमंद होता है गिलोय। क्योंकि इस जानलेवा फीवर के कारण हमारे शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती हैं, जिसकी वजह से रोगी का जीवन संकट में आ जाता है। गिलोय का सेवन यदि डेंगू का रोगी  फीवर के बारे में जानकारी मिलते ही शुरू कर दे तो गंभीर स्थिति में जाने से बच सकता है।दरअसल, डेंगू बुखार जानलेवा होता ही इसलिए है क्योंकि इसमें ब्लड प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती हैं। गिलोय का सेवन प्लेटलेट्स की संख्या को तेजी से बढ़ाता है।
डायबीटीज से बचाए
ब्लड में बढ़ते हुए शुगर लेवल को संतुलित  करने का काम गिलोय करता है। गिलोय का सेवन करने से डायबीटीज जैसे खतरनाक रोग भी दूर रहते हैं। अगर किसी की लाइफस्टाइल बहुत अस्त-व्यस्त रहती है तो वे गिलोय का सेवन कर अपना डायजेशन और बीपी सही रख सकते हैं।
त्वचा रोगों  से बचाए
नियमित रूप से गिलोय का सेवन करनेवाले लोगों में त्वचा संबंधी समस्याएं बेहद कम होती हैं। साथ ही उनकी त्वचा  चिकनी  नरम  रहती है। क्योंकि गिलोय के औषधीय गुण पाचन तंत्र को सही रखते हैं और ब्लड शुगर को व्यवस्थित  करते हैं। अंदरुनी अच्छी सेहत का असर हमारी त्वचा पर नजर आता है।
गिलोय के सेवन से जुड़ी जरूरी बातें
- गिलोय के तने और पत्तों को सुखाकर इनका पाउडर बनाया जाता है। गिलोय की गोली भी आयुर्वेदिक दवाई के रूप में उपयोग की जाती है। बुखार में गिलोय का सेवन काढ़ा, रस या पाउडर के रूप में करना चाहिए। ताकि शरीर को इसका पूरा पोषण कम समय में मिल सके।
-स्वास्थ्य विशेषज्ञ  के अनुसार, एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का उपयोग नहीं करना चाहिए।
-अगर आपका पाचन तंत्र  ठीक से काम नहीं कर रहा है या पेट गड़बड़ है तो गिलोय का सेवन ना करें।
- जिन लोगों को ब्लड प्रेशर या ब्लड शुगर से जुड़ी समस्याएं रहती हों, उन्हें बिना वैद्य की सलाह के गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए।
गर्भवती  महिलाओं को भी गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि गिलोय का सेवन करने पर ब्लड शुगर काफी लो हो सकता है। या अधिक यूरिन होने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
क्वाथ के रूप में ५ मिलीलीटर से १० मिलीलीटर ,
चूर्ण  एक ग्राम से तीन ग्राम 
सत्व में ५०० मिलीग्राम से १००० मिलीग्राम 
विशिष्ठ योग --  गुडूचायादि चूर्ण ,गुडुच्यादि क्वाथ ,गुडुचिलौह,अमृतारिष्ट ,गुडूचीतेल 
विशेष --- यथा संभव ताज़ी गुडुची का ही प्रयोग करना चाहिए .संग्रह करने के लिए वर्षा के पूर्व उसे छाया में सुखाकर रखना चाहिए 
यह गुडुची नित्य खाने से शरीर में रोगप्रतिरोगात्मक शक्ति बढ़ती हैं और आपके पास  ज्वर आ ही नहीं सकता।

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