भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार अपने लौहपुरुष पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का ही टिकट नहीं काटा है, बल्कि उत्तराखंड के दो बार मुख्यमंत्री रहे भुवन चंद्र खंडूरी का भी टिकट काट दिया है। बीसी खंडूरी 2007-09 और फिर 2011-12 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं।
इन वयोवृद्ध नेताओं को भाजपा द्वारा उनकी लोकसभा सीटों से टिकट नहीं दिए जाने से ऐसा लगता है कि पार्टी ने चुनावी राजनीति से अपने कई पुराने दिग्गजों को दूर रखने का फैसला कर लिया है। पार्टी नेतृत्व के ऐसे कदम की संभावना के मद्देनजर कलराज मिश्र और भगत सिंह कोशियारी जैसे वरिष्ठ नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। पार्टी के एक अन्य वयोवृद्ध नेता मुरली मनोहर जोशी, जो 2014 में कानपुर से जीते थे, का राजनीतिक भाग्य अनिश्चित है क्योंकि पार्टी ने बृहस्पतिवार को जारी पहली सूची में इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
हालांकि, पार्टी सूत्रों ने कहा कि अभी यह संभावना नहीं है कि जोशी को आम चुनाव में उतारा जाएगा। 91 वर्षीय आडवाणी 1998 से गुजरात की गांधीनगर सीट से चुनाव जीतते आ रहे थे। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह अब इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
लगता है कि खंडूरी के बेटे मनीष को पता चल गया था कि भाजपा से पिता का टिकट कटने वाला है और बदले में उन्हें भी नहीं मिलने वाला है। पार्टी के टिकट घोषित करने से पहले ही मिजाज भांप कर बीजेपी के कद्दावर नेता भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे मनीष ने बीते दिनों कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया था।
वे देहरादून में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए। चर्चा है कि मनीष खंडूरी को पौड़ी सीट से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। आपको बता दें कि भुवन चंद्र खंडूरी वर्तमान में पौड़ी से भाजपा के सांसद हैं। मनीष खंडूरी के कांग्रेस में जाने की कई दिनों से चर्चा चल रही थी। हालांकि उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की थी। इस बारे में पूछे जाने पर उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा था कि मनीष खंडूरी पार्टी के सदस्य नहीं हैं। इसलिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कहां जाते हैं।
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बेटे ने बदला पाला तो खंडूरी का भी कटा पत्ता